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Breaking news : मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा को मिली रिहाई, कहा - जीवन बर्बाद हो गया,17 साल तक,,,, उमा भारती ने भी दी बधाई

Breaking news : मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा को मिली रिहाई, कहा - जीवन बर्बाद हो गया,17 साल तक,,,, उमा भारती ने भी दी बधाई

Malegaon Blast Case: भोपाल : मध्य प्रदेश की बीजेपी नेता साध्वी प्रज्ञा को मालेगांव ब्लास्ट केस में कोर्ट ने आज रिहा कर दिया है। 17 साल से चल रहे इस केस में जांच एजेंसियो ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी को दोषी ठहराया था। लेकिन आरोप साबित नहीं होने पर कोर्ट ने सभी सातों लोगों को बरी कर दिया। 17 साल के बाद मिले इंसाफ को लेकर प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि 'मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया। अपने ही देश में मुझे आतंकवादी बना दिया गया।

17 साल तक अपमानित किया गया

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (Sadhvi Pragya Thakur statement) ने आगे कहा कि उन्हें गलत तरीके से इस केस में आरोपी बनाया गया। इससे उनका जीवन बर्बाद हो गया। मुझे 17 साल तक अपमानित किया गया। 13 दिनों तक प्रताड़ित किया गया। बकौल साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, मैं आज फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहीं, क्योंकि मैं न्यायालय के प्रति सम्मान रखती हूं।

प्रज्ञा जी को बधाई एवं माननीय न्यायालय का अभिनंदन

इधर, मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा के बरी होने पर उमा भारती ने  बधाई दी । भाजपा की फायरब्रांड नेता रहीं उमा भारती ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बरी होने पर एक्स पर लिखा कि - भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा आज निर्दोष साबित हुईं। प्रज्ञा जी को बधाई एवं माननीय न्यायालय का अभिनंदन।

क्या है मालेगांव ब्लास्ट मामला

29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले एक विस्फोट हुआ. इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. एक दशक तक चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए. शुरुआत में, इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी. हालांकि, 2011 में एनआईए को जांच सौंप दी गई. 2016 में एनआईए ने अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कई अन्य आरोपियों को बरी करते हुए एक आरोप पत्र दाखिल किया था. घटना के लगभग 17 साल बाद आए इस फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था ।

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता- NIA कोर्ट 

इधर, 17 साल के इंतजार के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में फैसला सुनाने से पहले कहा कि बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के होने के कोई सबूत नहीं मिले. आरोपियों पर यूएपीए नहीं लगाया जा सकता. जज ने केस का इतिहास सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि ब्लास्ट स्थल पर मिली बाइक में RDX लगाया गया था.  कोर्ट ने कहा कि कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि न तो बम मिला था और न ही आरडीएक्स और न ही कोई फिंगरप्रिंट. कोर्ट ने कहा कि एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में काफी अंतर है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है ।
 


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