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MADHYA PRADESH : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो दिन के भीतर दो बड़े अधिकारियों को किया निलम्बित

MADHYA PRADESH : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो दिन के भीतर दो बड़े अधिकारियों को किया निलम्बित

JHABUA : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने झाबुआ जिले के कलेक्टर सोमेश मिश्रा को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया हैं  और उनकी जगह अपर आयुक्त राजस्व रजनी सिंह को झाबुआ का नया कलेक्टर बनाया गया है। शासन की ओर से इस संबंध में आदेश भी जारी हो चूका हैं। कलेक्टर सोमेश मिश्रा की पोस्टिंग 13 अप्रैल 2021 झाबुआ में हुई थी। कोरोना काल में वर्तमान कलेक्टर रोहित सिंह कोरोना संक्रमित हो गए। साथ ही संक्रमण बढ़ रहा था। और बॉर्डर का जिला होने से सरकार ने चिकित्सा शिक्षा विभाग में उप सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे सोमेश मिश्रा को अचानक कलेक्टर बना दिया।    सीएम शिवराज सिंह चौहान से जिले में सरकारी योजनाओं और जमीनों के मामले में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। इसके पहले सीएम मार्च में भगौरिया उत्सव में झाबुआ के थांदला पहुंचे थे। तब भी सीएम से स्कूलों में घटिया खेल सामग्री वितरण करने की शिकायत की गई थी। सीएम ने जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। लेकिन मामले में एफआईआर तो हुई पर कोई कारवाई नहीं हुई । झाबुआ जिले में लगातार आदिवासी छात्र अपने हक के लिए कई बार आंदोलन कर चुके हैं।छात्रवृत्ति नहीं मिलने से परेशान स्टूडेंट्स अगस्त में 32 किमी चलकर पैदल झाबुआ कलेक्टर से मिलने पहुंचे थे। आरोप है कि कलेक्टर छात्रों से नहीं मिले 32 किमी पैदल चलने से इन छात्रों के पैरों में छाले पड़ गए, कुछ की तबीयत खराब हुई तो उन्हें अस्पताल तक ले जाना पड़ा था। कलेक्टर की नजरअंदाजगी का ऐसे रवैया जनवरी में भी सामने आया था। इससे आदिवासी स्टूडेंट्स के बीच सरकार और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भड़क रहा था।झाबुआ कलेक्टर का मामला सुर्खियों में था जब नौ महीने पहले कॉलेज के छात्र अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन देने पहुंचे थे। तब भी कलेक्टर छात्रों से मिलने नहीं पहुंचे दो घंटे धूप में खड़े रहने के बाद छात्रों का पारा चढ़ गया। इसी भीड़ में मौजूद लड़की निर्मला ने कलेक्टर को चैलेंज किया था कि आदिवासी छात्रों की मदद नहीं कर सकते तो हमको कलेक्टर बना दो,दो दिन में दो बड़े अधिकारियों को सीएम ने हटाया है। दोनों ही आदिवासी वोटबैंक से जुड़े हैं। भ्रष्टाचार की शिकायतें पहले भी खूब हुईं लेकिन आदिवासियों के बीच बनते जा रहे परसेप्शन को प्रशासनिक सर्जरी का बड़ा विषय माना जा रहा था

 


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