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संसद शीतकालीन सत्र के बाद ‘चाय पर संवाद’: ओम बिरला, पीएम मोदी और प्रियंका गांधी सहित एक मंच पर दिखे सत्ता-विपक्ष के नेता...

संसद शीतकालीन सत्र के बाद ‘चाय पर संवाद’: ओम बिरला, पीएम मोदी और प्रियंका गांधी सहित एक मंच पर दिखे सत्ता-विपक्ष के नेता...

दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार को औपचारिक रूप से संपन्न हो गया। सत्र समाप्त होने के बाद संसद परिसर में एक ऐसी राजनीतिक तस्वीर देखने को मिली, जिसने सियासी गलियारों में सकारात्मक संदेश दिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी समेत सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई दिग्गज नेता एक साथ चाय पर चर्चा करते नजर आए। यह दृश्य भारतीय संसदीय लोकतंत्र में संवाद और सहमति की भावना को दर्शाता है।

चाय पर हुई अनौपचारिक लेकिन अहम चर्चा:

सत्र के समापन के बाद आयोजित इस चाय चर्चा में संसद के कामकाज, सत्र की कार्यवाही और विधायी प्रक्रिया को लेकर अनौपचारिक बातचीत हुई। बैठक के दौरान सत्ता और विपक्ष के सांसद एक ही मंच पर सहज माहौल में संवाद करते दिखे। इस कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में इसे सौहार्द और संवाद की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

कौन-कौन रहा चाय चर्चा में शामिल:

इस चाय बैठक में कई प्रमुख फ्लोर लीडर और वरिष्ठ सांसद मौजूद रहे, इसके अलावा  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू, चिराग पासवान, ललन सिंह, किरण रिजिजू, अर्जुनराम मेघवाल, एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी सांसद राजीव राय और धर्मेंद्र यादव, डीएमके सांसद ए राजा शामिल है, इन नेताओं की मौजूदगी ने इस बैठक को और भी महत्वपूर्ण बना दिया।

पीएम मोदी और प्रियंका गांधी के बीच वायनाड पर बातचीत:

सूत्रों के मुताबिक, चाय चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रियंका गांधी के बीच वायनाड को लेकर सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक बातचीत हुई। इसे दोनों नेताओं के बीच संवाद का दुर्लभ लेकिन अहम क्षण माना जा रहा है।

सांसदों की मांग: नए संसद भवन में समर्पित हॉल:

बैठक के दौरान सांसदों ने प्रधानमंत्री के सामने नए संसद भवन में एक समर्पित हॉल बनाए जाने की मांग भी रखी। इस पर एक वरिष्ठ मंत्री ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पुराने संसद भवन में भी ऐसी व्यवस्था थी, लेकिन उसका उपयोग बहुत सीमित रहा।

सत्र को लेकर आत्ममंथन और हल्का-फुल्का माहौल:

सांसदों ने प्रधानमंत्री को बताया कि शीतकालीन सत्र काफी उपयोगी रहा, हालांकि इसकी अवधि और बढ़ाई जा सकती थी। देर रात तक विधेयक पारित किए जाने को आदर्श प्रक्रिया नहीं बताया गया। हल्के-फुल्के अंदाज़ में यह भी कहा गया कि विपक्ष के लगातार विरोध प्रदर्शनों के चलते सत्र अपेक्षाकृत छोटा रहा। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि वह विपक्ष की आवाज़ों पर अधिक जोर नहीं डालना चाहते थे।

चाय पार्टी की संसदीय परंपरा:

दरअसल, संसद सत्र के समापन के बाद प्रधानमंत्री द्वारा चाय पार्टी आयोजित करने की परंपरा रही है। इसमें सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी दलों को भी आमंत्रित किया जाता है। इसे संसदीय लोकतंत्र में संवाद, सौहार्द और सहमति का प्रतीक माना जाता है। पिछले मॉनसून सत्र के बाद हुई चाय पार्टी में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था। लेकिन इस बार शीतकालीन सत्र के बाद सभी दलों के नेताओं की मौजूदगी को राजनीति में सकारात्मक बदलाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

राजनीतिक हलकों में सकारात्मक संदेश:

सत्ता और विपक्ष का एक साथ चाय पर चर्चा करना यह दर्शाता है कि मतभेदों के बावजूद संवाद की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। यह तस्वीर न केवल संसद की गरिमा को मजबूत करती है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को भी रेखांकित करती है।


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