ग्रामीण रोजगार से जुड़े जी राम जी बिल के पारित होते ही संसद का माहौल पूरी तरह गरमा गया। आधी रात के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके सहित कई विपक्षी दलों के सांसद संविधान सदन के बाहर धरने पर बैठ गए। विपक्ष ने इस विधेयक को गरीब, किसान और मजदूर विरोधी बताते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के उल्लंघन का आरोप लगाया।
बिल पास होते ही संसद परिसर में नारेबाजी
राज्यसभा से विधेयक के पारित होने की घोषणा होते ही विपक्षी सांसदों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। सांसदों का कहना है कि बिना पर्याप्त चर्चा और सहमति के इतना अहम कानून पारित किया गया। पूरी रात संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन चलता रहा और माहौल तनावपूर्ण बना रहा।
जबरन बिल पास कराने का आरोप
तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा उपनेता सागरिका घोष ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस बिल को जबरन पारित कराया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को केवल कुछ घंटों का नोटिस देकर चर्चा सीमित कर दी गई, जो संसदीय परंपराओं के खिलाफ है। विपक्षी दलों ने इसे गरीबों और ग्रामीण भारत के अधिकारों पर सीधा हमला बताया।
लोकतंत्र को कमजोर करने का दावा
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए था, ताकि सभी पक्षों की राय सामने आ सके। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि यह दिन देश के मजदूरों के लिए बेहद निराशाजनक है। वहीं विपक्ष ने चेतावनी दी कि इस कानून के खिलाफ देशभर में आंदोलन किया जाएगा।
सरकार का बचाव, रोजगार बढ़ाने का दावा
सरकार की ओर से कहा गया है कि यह विधेयक ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से लाया गया है। सरकार का दावा है कि नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को सालाना 125 दिन का रोजगार मिलेगा और इससे आजीविका को मजबूती मिलेगी।