रायपुर: जीएसटी में कमी के बाद भी सीमेंट की कीमतों में कमी का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंच पाया है। नियम के अनुसार, 28% से घटाकर 18% किए जाने के बाद सीमेंट की कीमतों में लगभग 10% यानी 25–30 रुपए तक की कमी आनी चाहिए थी, लेकिन बाजार में ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ।
प्रदेश में सीमेंट कंपनियों ने सरकारी कार्यों में उपयोग होने वाले नॉन-ट्रेड सीमेंट के दाम जरूर 25 रुपए घटाए, लेकिन खुले बाजार वाले सीमेंट में सिर्फ कागजी खेल कर दिया गया। कंपनियों ने बिलिंग कम दिखाई, लेकिन डिस्काउंट घटाकर वास्तविक कीमतों को जस का तस रखा।
पहले कंपनियां 300–320 रुपए की बिलिंग करती थीं। डिस्काउंट मिलने के बाद यही सीमेंट डीलरों को 250–270 रुपए में मिल जाता था। अब कंपनियों ने बिलिंग 30 रुपए घटाकर 290 रुपए कर दी है, लेकिन साथ में डिस्काउंट भी कम कर दिया है। यानी ग्राहक के लिए कीमतें घटने के बजाय और बढ़ने लगी हैं।
22 सितंबर को जीएसटी स्लैब में बदलाव किया गया। इसके बाद सीमेंट पर 28% की जगह 18% जीएसटी लागू होने से कीमतों में कमी होना स्वाभाविक था, लेकिन खुले बाजार में दाम कम होने के बजाय बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। कंपनियां 20 रुपए तक दाम बढ़ाने की तैयारी में हैं, जिससे आगे कीमतें थोक में 300 रुपए और खुदरा में 330 रुपए तक पहुंच सकती हैं।
कैसे होता है बिलिंग का खेल?
कई कंपनियां वास्तविक कीमत से अधिक बिलिंग करती हैं और फिर भारी डिस्काउंट दिखाकर दाम घटा देती हैं। उदाहरण के तौर पर, 250 रुपए में बिकने वाले सीमेंट की बिलिंग 300 रुपए तक की जाती है और 50 रुपए का डिस्काउंट दिखाया जाता है। जीएसटी में बदलाव के बाद कंपनियों ने 30 रुपए बिलिंग घटाकर दिखाया, लेकिन डिस्काउंट घटाकर कीमतों को वहीं रखा, जहां पहले था।
ग्राहकों को नहीं मिल रहा फायदा
पहले 320 रुपए बिलिंग वाला सीमेंट डिस्काउंट के बाद 270 रुपए में डीलरों को मिलता था और खुदरा में 280 रुपये तक बिक जाता था। अब बिलिंग 290 रुपए की जा रही है और सिर्फ 20 रुपए का डिस्काउंट दिया जा रहा है, जिससे डीलरों की लागत फिर 270 रुपए पर आ जाती है। नतीजे में ग्राहक को आज भी सीमेंट 300–310 रुपए में ही खरीदना पड़ रहा है—जबकि जीएसटी कम होने के बाद इसे 260–270 रुपए मिलना चाहिए था।