चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल देश को समर्पित: भिलाई स्टील प्लांट का अहम योगदान

चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल देश को समर्पित: भिलाई स्टील प्लांट का अहम योगदान

रायपुर— प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज चिनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल को राष्ट्र को समर्पित किया। यह पुल न केवल इंजीनियरिंग की एक अद्वितीय उपलब्धि है, बल्कि इसमें भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस ऐतिहासिक परियोजना के लिए SAIL ने कुल 16,000 टन स्टील की आपूर्ति की, जिसमें से अकेले भिलाई स्टील प्लांट द्वारा 12,432 टन स्टील उपलब्ध कराया गया।

इंजीनियरिंग की मिसाल: चिनाब रेल पुल:

लंबाई: 1.3 किलोमीटर

ऊंचाई: 359 मीटर (एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊँचा)

क्षमता: 266 किमी/घंटा की हवा और भूकंप के झटकों को सहन करने में सक्षम

यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक परियोजना (USBRL) के तहत कटरा से बनिहाल के बीच रेल मार्ग को सुगम बनाएगा और हर मौसम में यातायात की सुविधा देगा।

भिलाई स्टील प्लांट का योगदान:

SAIL ने इस पुल के लिए निम्नलिखित स्टील आपूर्ति की:

TMT उत्पाद – 6,690 टन

स्ट्रक्चरल स्टील – 1,793 टन

प्लेट्स, HSM उत्पाद, चेकर्ड प्लेट्स – 7,511 टन

इनमें से भिलाई स्टील प्लांट ने अकेले 5,922 टन TMT, 6,454 टन प्लेट्स और 56 टन स्ट्रक्चरल स्टील का योगदान दिया।

🇮🇳 राष्ट्रीय परियोजनाओं में BSP की मजबूत उपस्थिति:

भिलाई स्टील पहले भी कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजनाओं का हिस्सा रह चुका है:

बांद्रा-वर्ली सी लिंक

अटल सुरंग (हिमाचल प्रदेश)

सेला सुरंग (अरुणाचल प्रदेश)

आईएनएस विक्रांत (स्वदेशी युद्धपोत)

बुलेट ट्रेन परियोजना

सेंट्रल विस्टा (नई दिल्ली)

उच्च गुणवत्ता वाले स्टील उत्पाद:

भिलाई द्वारा निर्मित TMT बार्स भूकंप और जंगरोधी गुणों से लैस होते हैं। संयंत्र विभिन्न स्पेशल ग्रेड स्टील, चौड़ी और मोटी प्लेट्स, बीम्स, एंगल्स और चैनल्स का निर्माण करता है, जो देश की ऊर्जा, रक्षा, रेलवे, स्पेस और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में उपयोग होता है।

भारत के विकास में BSP की भूमिका:

भिलाई इस्पात संयंत्र ने स्टील से विकास की नींव को और मजबूत किया है। चिनाब पुल जैसी परियोजनाएं न केवल देश की तकनीकी क्षमता को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी प्रमाणित करती हैं कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान अब ऊंचाइयों को छू रहा है।


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