MP Bjp Politics : मध्यप्रदेश बीजेपी को नया सेनापति हेमंत खंडेलवाल के रूप में मिल चुका है। खंडेलवाल की प्रदेश भाजपा की कमान संभालते ही कई तरह की सुगबुगाहटें अब प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में गूंजने लगी है। सबसे ज्यादा चर्चाएं नेतापुत्रों को मौक मिलने की हो रही है। इसमें हैरानी वाली कोई बात भी नहीं, क्योंकि खंडेलवाल के आने के बाद से नेतापुत्रों में एक आस सी जागी है। क्योंकि खंडेलवाल वो नेता है जिनके प्रदेश के हर भाजपा नेता से अच्छे संबंध माने जाते है। ऐसे में भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि उनके पुत्रों को पार्टी संगठन में कोई बड़ा ओहदा मिलेगा।
नेतापुत्रों के लिए उम्मीद की किरण!
भारतीय जनता पार्टी हमेशा से परिवारवाद पर हावी होती आई है। वही कांग्रेस, समाजवादी जैसे दालों पर परिवारवाद की कालिख पोतती आई है, लेकिन जब बीजेपी की बारी आती है तो उस कालिख पर पर्दा डाल देती है, लेकिन ऐसे में नेतापुत्रों को नुकसान उठाना पड़ जाता है। बीते लंबे समय से प्रदेश भाजपा में नेतापुत्रों की भी यही हालत है। पार्टी के ऐसे कई दिग्गज नेता हैं, जिनके पुत्रों को पार्टी में कोई विशेष ओहदा नहीं मिल पाया है। लेकिन अब हेमंत खंडेलवाल के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद नेतापुत्रों के लिए एक उम्मीद की किरण जागी है।
पुत्रों के लिए खुलेंगे दरवाजे?
दिग्गजों को लगने लगा है कि पार्टी में अब उनके पुत्रों के लिए दरवाजे खुलेंगे? क्योंकि हेमंत खंडेलवाल के पिता विजय कुमार खंडेलवाल बैतूल लोकसभा क्षेत्र से 4 बार लोकसभा के सांसद रहे। ऐसे में अब बीजेपी ने उनके बेटे हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का सबसे बड़ा पद दे दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि हो सकता है कि पार्टी अब नेतापुत्रों के लिए पार्टी के दरवाजे खोल दे।
क्या नेतापुत्रों को मिलेगा मौका?
प्रदेश भाजपा के ऐसे कई नेता है जिनके पुत्रों को बीते कई सालों से साइड लाइन करके रखा है। कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय का बीजेपी ने टिकट ही काट दिया था। हालांकि उनका टिकट उनके पिता को ही दिया, लेकिन आकाश का टिकट कटना एक तरह से बड़ा झटका था। वही पूर्व सीएम शिवराज सिंह के बेटे कार्तिकेय बीते कुछ सालों से पार्टी में सक्रिय है, लेकिन बुधनी विधानसभा के उपचुनाव में उन्हें मौका नहीं मिला। तो वही ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महार्यमन, नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह, गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश सिंह, प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा, गोपाल भर्गव और भूपेंद्र सिंह के बेटे को अब तक पार्टी में कोई स्टेण्ड नहीं मिला है।
ऐसे में अब देखना होगा की पार्टी और प्रदेश पार्टी के मुखिया नेतापुत्रों के भविष्य को लेकर क्या फैसला लेते है, वे कैसे नेतापुत्रों के मामले में पार्टी नेताओं को डील करते है, ये आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन नेतापुत्रों के सुरक्षित भविष्य की सियासत ने जोर पकड़ लिया है।