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MP Politics : मध्यप्रदेश में क्यों गिरी कमलनाथ सरकार? डिनर पार्टी का वो राज, मच गया हंगामा

MP Politics : मध्यप्रदेश में क्यों गिरी कमलनाथ सरकार? डिनर पार्टी का वो राज, मच गया हंगामा

Kamal Nath Digvijay Singh : मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर पुरानी कहानी ने नया मोड़ ले लिया है। साल 2020 में गिरी कमलनाथ सरकार को लेकर कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और कमलनाथ एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। दिग्विजय सिंह ने हाल ही में एक इंटरव्यू में उस घटना का खुलासा कर दिया, जिनके चलते कांग्रेस की सरकार सिर्फ 15 महीने में ही सत्ता से बाहर हो गई थी। और इसी बयान के बाद अब सियासी हलकों में भूचाल सा आ गया है।

डिनर की टेबल पर तय हुई सरकार की किस्मत?

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक निजी पॉडकास्ट के दौरान बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि एक उद्योगपति के घर पर हुई डिनर पार्टी में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों मौजूद थे। इसके बाद उनके अपने घर पर भी एक बैठक हुई, जिसमें तीनों नेताओं ने मिलकर एक मांगों की सूची तैयार की थी, खासतौर पर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए। दिग्विजय सिंह का दावा है कि उन्होंने भी उस लिस्ट पर हस्ताक्षर भी किए थे, लेकिन जब इन मुद्दों को अमल में लाने की बारी आई, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया।

तो सरकार बच जाती सरकार...

अपने बयान में दिग्विजय सिंह ने साफ तौर पर कहा कि यदि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की मांगों पर ध्यान दिया जाता और सिंधिया से किए गए वादों को पूरा किया जाता, तो सरकार को गिरने की नौबत नहीं आती। उन्होंने यह भी कहा कि उनका किसी से व्यक्तिगत टकराव नहीं था, लेकिन वादों को नजरअंदाज करना ही सबसे बड़ी गलती थी।

नाथ का पलटवार 

दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब पुरानी बातों को कुरेदने से कोई फायदा नहीं है। लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि सिंधिया को यह भ्रम था कि दिग्विजय सिंह सरकार चला रहे हैं, और इसी कारण उन्होंने नाराज होकर कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और बीजेपी के साथ चले गए।

बैकफुट पर कांग्रेस 

दिग्गी और कमलनाथ के बीच हुई सार्वजनिक बयानबाजी के बाद से कांग्रेस बैकफुट पर गई है। भाजपा नेताओं ने इस मौके का जमकर फायदा उठाया। बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि यही कांग्रेस सरकार की आंतरिक खींचतान थी, जिसकी वजह से सरकार खुद ही ढह गई। उन्होंने कहा कि सिंधिया का अपमान हुआ, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी और कांग्रेस की पोल खोल दी। 

नरोत्तम मिश्र ने लिए मजे

पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हुए घटनाक्रम को लेकर कहा कि तरन्नुम कानपुरी की एक शायरी है, ऐ क़ाफ़िले वालों, तुम इतना भी नहीं समझे थे लूटा है तुम्हे रहज़न ने, रहबर के इशारे पर काफिला क्यों लुटा था....कौन दोषी है अब यह सामने आ गया है। कांग्रेस को बुढ़ापे में बच्चा रूपी सरकार हुई थी। इन्होंने उसे चूम चूम कर ही मार डाला। उन्होंने आगे कहा कि हम तो पहले से कहते थे कि कमलनाथ नहीं, दिग्विजय सिंह सरकार चला रहे थे। यही कारण था सरकार गिरने का। यह बात कमलनाथ के मंत्री उमंग सिंगार ने भी उस वक्त कही, लेकिन कमलनाथ की आंखों पर दिग्विजय ने पट्टी बांध रखी थी और आज कमलनाथ को सच्चाई याद आ रही है। कमलनाथ जी जब आप सच की राह पर चल ही दिए है, तो लगे हाथ यह भी बता दे कि डेढ़ साल की सरकार में सुपर सीएम दिग्विजय सिंह ने आपसे भ्रष्टाचारी फैसले करवाए। नही तो जनता यह मान लेगी की आप दोनों एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ कर सबको गुमराह कर रहे है। असलियत यही है कि आप दोनों के सच ने बता दिया है कि कांग्रेस की नाव जो डूबी उसे कप्तान ने ही छेद कर डुबाया था।

15 महीने में सब खत्म

आपको बता दें कि साला 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत तो नहीं मिला था, लेकिन वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और बसपा, सपा तथा निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई गई। लेकिन यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी। मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इसी के चलते कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।


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