एक तरफ महंगाई ने आम आदमी की थाली से कई ज़रूरी चीज़ें गायब कर दी हैं, वहीं दूसरी तरफ आलू और प्याज जैसी रोजमर्रा की सब्ज़ियाँ मांग में भारी गिरावट के चलते रिकॉर्ड स्तर पर सस्ती हो गई हैं। हालात ऐसे हैं कि थोक व्यापारी भी इस गिरावट को लेकर हैरान और परेशान हैं।
रोज़ की सब्जियाँ, अब नहीं रहीं रोज़मर्रा की ज़रूरत?
इस समय थोक बाजार में आलू महज़ 14 रुपए किलो और प्याज 8 से 16 रुपए किलो बिक रहा है। खुदरा बाजारों में ये कीमतें 20 से 25 रुपए तक पहुंचती हैं। एक समय था जब यही आलू और प्याज बीते साल लोगों की जेब पर भारी पड़े थे — आलू 50 और प्याज 80 रुपए किलो तक बिके थे।
नई फसल, पुरानी परेशानी
इस बार फसल अच्छी रही, लेकिन बाज़ार से ग्राहकों की रुचि ही गायब हो गई है। आलू और प्याज की मांग 60 फीसदी तक घट चुकी है। राजधानी की सब्जी मंडियों में आलू की आवक पहले जहाँ 25 ट्रक प्रतिदिन थी, अब 8 से 10 ट्रक ही आ रहे हैं। प्याज की आवक भी 35 ट्रक से घटकर 20 ट्रक से नीचे आ गई है।
30 साल में ऐसा पहली बार
भनपुरी आलू-प्याज थोक व्यापारी संघ के अध्यक्ष अजय अग्रवाल कहते हैं, "तीन दशक में ऐसा मंदा बाज़ार नहीं देखा। पहले कभी भी आलू-प्याज की डिमांड इतनी कम नहीं हुई।" व्यापारी जहां घाटे से परेशान हैं, वहीं ग्राहकों के लिए यह राहत की बात बन गई है।
किराना से मोहल्ले तक कीमतों में फर्क
हालाँकि खुदरा बाज़ारों में थोड़ी कीमतें ऊँची जरूर हैं — जैसे मोहल्लों में ठेलेवाले आलू 30 रुपए तक में बेच रहे हैं — लेकिन फिर भी यह कीमत पिछले वर्षों की तुलना में बेहद कम मानी जा रही है।