Uma Bharti : भारतीय जनता पार्टी की हिंदूत्व फायरब्रांड नेता, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा है। उमा भारती ने सोशल मीडिया एक्स पर एक भावुक पोस्ट के माध्यम से अपने राजनीतिक सफर की कीमत चुकाने वाले परिवार की पीड़ा साझा की, बल्कि पार्टी के अंदर की मजबूरियों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उनके भतीजे को टिकट देना बीते ने कोई कृपा नहीं की, बल्कि पार्टी की मजबूरी थी।
पार्टी की मजबूरी, एहसान नही
उमा भारती ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि ग्राम डूंडा, जिला टीकमगढ़ के लोधीवंश के जिस परिवार में जन्मी वहां मेरे संन्यस्त जीवन के पूर्व के चार भाई और एक बहन थी जिसमें से दो बड़े भाइयों का एवं एक मात्र बहन का निधन हो चुका है, मैं सबसे छोटी थी इसलिए बहुत लाड़ प्यार से पली। फिर 6 वर्ष की आयु से सामाजिक जीवन में आकर प्रवचन शुरू हो गए, देश-विदेश में मेरे प्रवचन सुनने वालों ने मुझे बाल गोपाल ही कहा। मेरे परिवार ने मेरी राजनीति के कारण बहुत कष्ट उठाया है।
उमा भारती ने आगे लिखा है कि शायद ही मध्य प्रदेश भाजपा के बड़े पदों पर बैठे नेताओं के परिवार ने इतने कष्ट उठाए हों, सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की मेरी वजह से उनकी खूब प्रताड़ना हुई। लूट, डकैती जैसे झूठे आरोप लगे और कोर्ट में हमेशा वह पूरी तरह से निर्दोष साबित हुए। मेरे भाइयों की संताने मेरी छवि की चिंता के कारण स्वयं जितनी योग्यता रखते थे उतनी तरक्की नहीं कर पाए। मेरे एक भाई के बेटे राहुल को टिकट देना परिवार पर कोई एहसान नहीं था पार्टी की मजबूरी थी।
बुंदेलखंड में होगा भाजपा को नुकसान!
उमा भारती ने आगे लिखा है कि बुंदेलखंड में भाजपा को इससे नुकसान हो सकता था मेरा परिवार तो जनसंघ के समय से भाजपा में है राहुल और सिद्धार्थ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में बाल स्वयंसेवक थे तब मैं राजनीति से कोसों दूर थी। मेरा परिवार जन संघ से जुड़ा था। भाजपा अगर मुझे चुनाव न लड़ाती तो मेरे परिवार के भाई या भतीजे सांसद या विधायक बहुत पहले बन गए होते। राहुल ने अपनी पत्नी उमिता सिंह को जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाकर पूरे बुंदेलखंड के सामंती आतंक के गढ़ को चुनौती दे दी। अब दोनों पति-पत्नी शान और स्वाभिमान के साथ राजनीति करते हैं। मेरे चारों भाई ऐसे ही रहे, मेरे पिता और दादा भी ऐसे ही थे।
उमा की पीड़ा
उमा भारती की यह पोस्ट एक आत्ममंथन जैसी दिखाई देती है। जिसमें उमा भारती ने पार्टी नेतृत्व की कार्यशैली और परिवार के साथ किए गए व्यवहार को लेकर अपनी पीड़ा जाहिर की। उनका साफ तौर पर कहना है कि अगर पार्टी उन्हें आगे नहीं करती, तो उनके परिजन पहले ही जनप्रतिनिधि बन सकते थे। उमा भारती के इस बयान के बाद से बीजेपी में तूफान लाकर खड़ा कर दिया है। उनके इस बयान से साफ संकेत मिलते है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अंदर असंतोष की चिंगारी अब भी सुलग रही है।