कवर्धा: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिला स्थित कवर्धा में आज सावन माह के प्रथम सोमवार को पदयात्रा शुरू हुई है. ये पदयात्रा पंचमुखी बुढ़ा महादेव मंदिर से भोरमदेव के लिए निकली गई है. जिसमें डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने बुढ़ा महादेव मंदिर में पूजा अर्चना कर पदयात्रा का शुभारंभ किया है. इस पदयात्रा में डिप्टी सीएम विजय शर्मा और सांसद संतोष पाण्डेय शामिल हुए. इसके अलावा हजारों की तादाद में श्रद्धालु शामिल हुए हैं.
कवर्धा से भोरमदेव तक पदयात्रा:
बता दें कि हर साल सावन के प्रथम सोमवार को बुढ़ा महादेव मंदिर कवर्धा से भोरमदेव तक पदयात्रा निकलती है. जानकारी के मुताबिक सावन के प्रथम सोमवार के अवसर पर हर साल की तरह इस साल भी पंचमुखी बुढ़ा महादेव से लेकर भोरमदेव तक 18 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली गई। जिसमें डिप्टी सीएम विजय शर्मा के साथ जिले के अधिकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों के साथ साथ स्कूली बच्चें भी डिजे की धून में थिरकते हुए पदयात्रा में शामिल हुए।
DCMO शर्मा ने जनता की खुशहाली की कामना:
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने पहले पंचमुखी बुढ़ा महादेव मंदिर में पूजा अर्चना कर पदयात्रा की शुरुआत की और स्वयं 8 किलोमीटर तक हजारों की तादाद में श्रधालुओं के साथ शामिल हुए। इस दौरान डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने INH24X7 NEWS से बातचीत करते हुए छत्तीसगढ़ की जनता की खुशहाली की कामना की और प्रदेशवासियों को प्रथम सोमवार पदयात्रा की शुभाकामनाएं दी।
शिव मंदिरों में लगा भक्तों का तांता:
इसके साथ ही पहले सोमवार के दिन भगवान शिव की भक्ति और आराधना का विशेष समय सावन के मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर आस्था की धूम है। मध्यप्रदेश के अमरकंटक और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित ज्वालेश्वर में शिव के भक्तों का तांता लगा है आसमान बोल बम के उद्घोष से गुंजायमान है। कांवरिए मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित अमरकंटक के नर्मदा उदगम से जल लाकर ज्वालेश्वर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने बड़ी यहां पहुंच हुए हैं.
ज्वालेश्वर महादेव का महत्व:
कांवरियों ने पहले नर्मदा उदगम से जल भरा और विशेष पूजा अर्चना के बाद रवाना हुये यहां उनके कांवरों की आरती हुयी और मां नर्मदा से आशीष लेकर ज्वालेष्वर के शिव दरबार में पंहुचे। दरअसल सावन का महीना शिव भक्ति का प्रतीक है और मध्यप्रदेश की सीमा में बसे अमरकंटक के नर्मदा उदगम और छत्तीसगढ़ स्थित ज्वालेश्वर महादेव का इस दिन अपना महत्व होता है। आज पहले सावन सोमवार के दिन नर्मदा उदगम से जल लेकर आठ किलोमीटर दूर पैदल चलकर कांवरों में जल भरकर सैकड़ों की सख्या में श्रद्धालु ज्वालेष्वर महादेव पहुंचे और यहां स्थित स्वयंभू शिवलिंग पर नर्मदा के उदगम जल के साथ ही बेलपत्र, दूध दही दत्यादि से शिव का जलाभिषेक कर मनचाही मुरादें मांगी।
मां नर्मदा का धार्मिक और पौराणिक महत्व:
आज ज्वालेष्वर महादेव में जलाभिषेक करने मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ उड़ीसा और बंगाल से कांवरिये और श्रद्धालु पहुंचे और ब्रहममुहूर्त से ही जलाभिशेक करने का सिलसिला शुरू हो गया। कांवरियों ने आज नर्मदा उदगम से जल भरकर विशेष पूजा अर्चना के बाद रवाना हुये यहां उनके कांवरों की आरती हुयी और मां नर्मदा से आशीष लेकर ज्वालेष्वर के शिव दरबार में पंहुचे। बाकी समय में ज्वालेष्वर की पहचान भले ही पर्यटन स्थल के रूप में होती हो पर आज के दिन इसका सिर्फ और सिर्फ विशेष धार्मिक महत्व रहता है और लोगों की भीड़ यहां के धार्मिक और पौराणिक महत्व को बतलाती है.