रायपुर: सावन के पवित्र महीने की आज से शुरुआत हो गई है. सुबह से ही पूजा अर्चना करने भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं. वहीं दूसरी ओर राजधानी रायपुर के शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. आज शाम कई मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना होगी. वहीं छत्तीसगढ़ के विभिन्न मंदिरों में भक्त शिव भक्ति में रमे हुए है.
भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचे लोग:
बता दें कि सावन मास की आज से शुरुआत हुई है. जिससे राजधानी रायपुर में भी बड़ी संख्या में लोग भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचे हैं. वहीं आज महादेवघाट के हटकेश्वर महादेव शिवलिंग का शृंगार किया गया है. बता दें कि सावन मास का आरंभ 11 जुलाई से लेकर 9 अगस्त को माह की समाप्ति होगी.
कुलेश्वर मन्दिर में भी लगी भक्तों की लंबी कतारें:
वहीं दूसरी ओर प्रदेश की प्रयागराज कही जाने वाली राजिम के त्रिवेणी संगम में स्थित कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। तीन नदियों के संगम के बीचों बीच कुलेश्वर मन्दिर में तड़के भोर से ही भक्तों की लंबी कतारें मंदिर परिसर में देखने को मिलीं। भक्तों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ भोलेनाथ का जलाभिषेक किया और विशेष पूजा अर्चना की। "हर-हर महादेव" और "ॐ नमः शिवाय" के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
पंचकोशी की यात्रा शुरू:
बता दें कि राजिम के त्रिवेणी संगम स्थित कुलेश्वर महादेव अत्यंत प्राचीन मंदिर में भी सावन और महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसी बीच सावन मास के पहले दिन भक्त बाबा की भक्ति में रंगे हुए दिखे। भक्त कुलेश्वर महादेव में जल चढ़ाकर पंचकोशी की यात्रा शुरू करते हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन ने विशेष प्रबंध किए हैं। दर्शन के लिए कतारबद्ध और सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गई है।
वनवास के समय माता सीता ने की थी यहां पूजा:
राजिम के त्रिवेणी संगम स्थित कुलेश्वर महादेव अत्यंत प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि, वनवास के समय माता सीता ने रेत की शिवलिंग बनाकर पूजा की थी। साथ ही प्रभु श्रीराम ने भी कुलेश्वर महादेव की पूजा अपने कुल देवता के रूप में की थी। इसलिए मंदिर का नाम कुलेश्वर महादेव पड़ा। यह दुनिया का पहला पंचमुखी शिवलिंग है।आठवीं शताब्दी में बना यह प्राचीन मंदिर संगम के बीच में एक ऊंची जगती पर वर्षों से टिका हुआ है। यह मंदिर स्थापत्य का बेजोड़ नमूना है। यहां सावन और महाशिवरात्रि के दिन विशेष पूजा होती है।