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मानसून सत्र का पहला दिन हंगामेदार: राजस्व भर्ती घोटाले, खाद संकट और विश्वविद्यालय भर्ती पर विपक्ष का जोरदार हमला, कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित 

मानसून सत्र का पहला दिन हंगामेदार: राजस्व भर्ती घोटाले, खाद संकट और विश्वविद्यालय भर्ती पर विपक्ष का जोरदार हमला, कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित 

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन का आगाज़ सोमवार को हुआ, लेकिन कार्यवाही की शुरुआत से ही सदन में तीखा राजनीतिक माहौल देखने को मिला। प्रश्नकाल के दौरान राजस्व निरीक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी, खाद-बीज की भारी कमी और विश्वविद्यालय में अनियमित भर्तियों जैसे गंभीर मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा।

राजस्व निरीक्षक भर्ती में गड़बड़ी का मामला गरमाया :

प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक राजेश मूणत ने राजस्व निरीक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि दोषियों को बचाने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने सवाल किया कि कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद भी विभागीय अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने बताया कि पूरे मामले की EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) से जांच कराई जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

हालांकि, जब अजय चंद्राकर और भूपेश बघेल ने यह पूछा कि EOW से जांच कराने का निर्णय किस स्तर पर लिया गया, तो मंत्री इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए और CBI जांच की मांग कर डाली।

सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर काफी देर तक तीखी बहस और नारेबाजी होती रही, जिसके बाद विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया।

खाद-बीज संकट पर स्थगन प्रस्ताव खारिज, कांग्रेस का गांधी प्रतिमा के सामने धरना:

शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्य में खाद-बीज की भारी कमी का मुद्दा उठाया और इस पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि किसान परेशान, दुःखी और आक्रोशित हैं लेकिन सरकार पूरी तरह असहाय नजर आ रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधायक उमेश पटेल ने भी कहा कि राज्य में किसान बाजार से दोगुनी कीमत पर खाद खरीदने को मजबूर हैं, और सरकार DAP की उपलब्धता तक सुनिश्चित नहीं कर पा रही है।

हालांकि, कृषि मंत्री रामविचार नेताम के वक्तव्य के बाद अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इस फैसले से नाराज़ विपक्षी विधायकों ने गर्भगृह तक पहुंचकर नारेबाजी की और सरकार पर किसान विरोधी होने के आरोप लगाए।

विपक्षी विधायकों के इस उग्र प्रदर्शन के चलते कुछ सदस्यों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद कांग्रेस विधायक गांधी प्रतिमा के समक्ष धरने पर बैठ गए, जहाँ उन्होंने सरकार के खिलाफ "किसान विरोधी सरकार" के नारे लगाए और कहा कि सरकार किसानों के मुद्दों से भाग रही है।

बस्तर विश्वविद्यालय भर्ती में मनमानी का आरोप, मुख्यमंत्री ने जांच का दिया भरोसा:

प्रश्नकाल में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, बस्तर में पदों की भर्ती में अनियमितता का मुद्दा उठाया। उन्होंने पूछा कि कितने पद स्वीकृत हुए, क्या आरक्षण रोस्टर का पालन हुआ और क्या किसी भर्ती में शिकायत दर्ज की गई?

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया कि 5 अक्टूबर 2023 को विश्वविद्यालय में 59 शैक्षणिक पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, जिनमें प्राध्यापक – 10, सह प्राध्यापक – 19, सहायक प्राध्यापक – 30 पद शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 10 में से 8 विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

हालांकि, अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितता हुई है। उन्होंने कहा कि जिन अभ्यर्थियों की उम्र 40 साल से ऊपर थी (46, 44, 48 वर्ष), उन्हें चयनित किया गया जबकि नियमों के मुताबिक यह संभव नहीं है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है, जिस पर जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है और रिपोर्ट के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

सत्र स्थगित, पहले ही दिन विपक्ष-सरकार में जबरदस्त टकराव:

मानसून सत्र के पहले दिन ही सदन में तीन बड़े मुद्दों – राजस्व भर्ती घोटाला, खाद-बीज संकट, और विश्वविद्यालय भर्ती विवाद – को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच जबरदस्त नोकझोंक हुई। विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए उसे जवाबदेह ठहराया, वहीं सरकार ने जांच और कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

हंगामे और प्रदर्शन के बीच विधानसभा की कार्यवाही कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।


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