पोलावरम बांध का छत्तीसगढ़ में असर : कोंटा सहित डूब जाएंगे सुकमा जिले के 9 गांव, 28 मई को पीएम मोदी करेंगे उच्च स्तरीय बैठक

पोलावरम बांध का छत्तीसगढ़ में असर : कोंटा सहित डूब जाएंगे सुकमा जिले के 9 गांव, 28 मई को पीएम मोदी करेंगे उच्च स्तरीय बैठक

रफीक खान// कोंटा। दक्षिण भारत की महत्वाकांक्षी बहुद्देशीय पोलावरम परियोजना को लेकर 28 मई को एक उच्च स्तरीय बैठक दिल्ली में रखी गई है। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, जिसमें आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और पोलावरम प्राधिकरण के अधिकारी शामिल होंगे। इस बैठक में मुख्य रूप से डुबान क्षेत्र के आदिवासी जनजाति के विस्थापन और पुनर्वास जैसे जटिल मुद्दों पर चर्चा होनी है , जो लंबे समय से दो राज्यों के बीच विवाद का कारण बने हुए हैं।

 गांव की आबादी लगभग 20 हजार से अधिक:

इस बैठक में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक मुख्यालय सहित शहर एवं शबरी तटों से लगे डुबान क्षेत्र के विभिन्न प्रभावित गांवों तथा समुदाय के विस्थापन को लेकर अपनी बात रख सकते हैं। कोंटा तहसील गोदावरी नदी के बैक वाटर से प्रभावित क्षेत्र है। कोंटा ब्लॉक के प्रभावित सभी गांव की आबादी लगभग 20 हजार से अधिक बताई जा रही है। शबरी नदी के बैक वाटर से न केवल यहां बसे हजारों आदिवासियों की जमीन और आजीविका छिन जाएगी, बल्कि दोरला जनजाति जो विलुप्तप्राय आदिवासी समुदायों में आते हैं, उनका अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।

कई राज्यों को जोड़ता है कोंटा हाईवे:

2022 में गोदावरी की बैक वाटर से कोंटा शहर सहित आस-पास के गांव जलमग्न हो गए थे। इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग 30 भी 10 दिनों तक जलमग्न होकर बाधित था। कोंटा नगर के कई वार्ड खाली कराए गए थे और इसका सीधा असर जनता पर पड़ा था। उस वक्त पोलावरम बांध में 38 फीट मात्र पानी था। अब अनुमान लगा सकते है कि जब 150 और 177 फीट की बात होगी तो स्थिति क्या होगी और इस बांध के चलते बैठे बैठाए पूरा विकासखंड मुख्यालय सहित अनुमान से अधिक गांव प्रभावित होंगे और राजमार्ग बाधित हो जाएगा। जिसे रायपुर से आंध्रप्रदेश तेलंगाना केरल चेन्नई को जोड़ने वाला लाइफ लाइन कहा जाता है।

सर्वे में सामने आई स्थिति:

वर्ष 2018-19 में किए गए सर्वे अनुसार गोदावरी के चलते शबरी नदी के बैक वाटर के अंतर्गत आरएल 177 फीट अनुसार कुल 12 गांवों को डुबान में लिया गया था। जिसमें निजी जमीन 1488.41 हेक्टेयर और शासकीय जमीन 1216.38 हेक्टेयर बताई जा रही है। इतने भू-भाग के जलमग्न होने से कुल 2519 घर प्रभावित होने की आशंका जताई गई थी। जिसमें चार समुदाय अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति अन्य पिछड़ा वर्ग एवमं सामान्य जाति के लोग शामिल हैं। माना यह भी जा रहा है कि यह सर्वे रिपोर्ट भी कई मायनों में सही नहीं है।

प्रभावित लोगों को मिले पर्याप्त मुआवजा:

सुकमा के भाजपा जिला अध्यक्ष धनीराम बारसे ने बताया कि, पोलावरम बांध से सुकमा जिला के जितने भी लोग प्रभावित हो रहे है, उन प्रभावित लोगों का सबसे पहले विस्थापन की व्यवस्था होना चाहिए। लोगों को जो नुकसान हो रहा है उसका मुआवजा मिलना चाहिए, जो तटबंध बनाने की बात कही जा रही है। इससे डुबान की स्थिति उत्पन्न नही होगी हम नहीं मानते। जो छग के हमारे लोग प्रभावित हो रहे है, उन्हे सही मायने में पर्याप्त मात्रा में विस्थापन के साथ पुरा सहायता मिलना चाहिए। जिसको लेकर सरकार पहले से ही इस विषय को गंभीरता से ले रही है।


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