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विपक्ष के सवालों से गरमाया सदन : जल जीवन मिशन की गड़बड़ी और रेत माफियाओं के मुद्दे पर हंगामा, विपक्ष ने किया वॉकआउट

विपक्ष के सवालों से गरमाया सदन : जल जीवन मिशन की गड़बड़ी और रेत माफियाओं के मुद्दे पर हंगामा, विपक्ष ने किया वॉकआउट

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का दूसरा दिन भी प्रश्नकाल और शून्यकाल के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। एक ओर रायपुर जल जीवन मिशन में गड़बड़ी को लेकर भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने सवाल खड़े किए, वहीं दूसरी ओर रेत के अवैध खनन पर विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव लाकर सरकार को घेरा।

"विधानसभा सड़क नहीं" - स्पीकर की फटकार

प्रश्नकाल की शुरुआत में राज्य स्तरीय उच्च पावर समिति की अनुशंसा और ठेकेदारों के संदर्भ में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर और कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव के बीच जोरदार बहस हुई।

बात की गंभीरता को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि: “विधानसभा कोई सड़क नहीं है, जहां भाषण देने आ जाएं। सदन में इस तरह की भाषा और लहजे का इस्तेमाल अनुचित है। एक-दूसरे को देखकर जवाब न दें, आसंदी की ओर देखकर बात करें। पूरा छत्तीसगढ़ प्रश्नकाल देखता है, जिम्मेदारी से बात होनी चाहिए।”

जल जीवन मिशन में फर्जीवाड़े का आरोप, कौशिक ने मांगा जवाब

भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने रायपुर जल जीवन मिशन में फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए फर्मों को ठेका दिए जाने का मामला उठाया।
उन्होंने सवाल किया, “ऐसे फर्जीवाड़ा करने वाली फर्मों पर एफआईआर क्यों नहीं की गई? क्या दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी?”

इस पर डिप्टी सीएम और जल संसाधन मंत्री अरुण साव ने जवाब दिया: एक फर्म पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की गई है। अन्य फर्में ज्वाइंट वेंचर में शामिल थीं, जिन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया है। अधिकारियों की संलिप्तता की रिपोर्ट अभी नहीं आई, रिपोर्ट के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि नियमों के विपरीत भुगतान हुआ है, तो जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

धरमलाल कौशिक ने यह भी आरोप लगाया कि विभाग की ओर से कहा गया था कि 70% से अधिक भुगतान नहीं होगा, लेकिन वास्तव में 80% से ज़्यादा भुगतान कर दिया गया, जो गंभीर अनियमितता है।

रेत के अवैध खनन पर विपक्ष का स्थगन प्रस्ताव, वॉकआउट

शून्यकाल में विपक्ष ने प्रदेश में रेत के अवैध खनन को लेकर स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

उमेश पटेल ने कहा कि राज्य की नदियों को, जिन्हें हम पूजते हैं, उन्हें रेत के लिए छलनी बना दिया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि: “प्रदेश में लगभग 2,000 स्थानों पर अवैध रूप से रेत खनन हो रहा है। बाहरी लोग बिना रॉयल्टी रेत निकाल रहे हैं। ठेकेदार विरोध करने पर आम जनता से मारपीट कर रहे हैं।”

देवेंद्र यादव ने कहा, “यह खनन किसी से छिपा नहीं है। मंत्री और कलेक्टर इस पर ध्यान नहीं दे रहे।”

भूपेश बघेल ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा, “रेत माफिया सरकार की जेब में है। नदियों को लूटने की साजिश चल रही है।”

विपक्ष की मांग थी कि स्थगन प्रस्ताव स्वीकार कर चर्चा कराई जाए, लेकिन आसंदी ने कहा कि सूचना समय पर नहीं दी गई, इसलिए स्थगन अग्राह्य किया जाता है।
इस निर्णय से नाराज विपक्षी विधायकों ने "रेत माफियाओं को संरक्षण दे रही सरकार" जैसे नारों के साथ सदन से वॉकआउट कर दिया।


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