दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक नन की गिरफ्तारी को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। शुक्रवार को माकपा और भाकपा के सांसदों ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। वरिष्ठ माकपा नेता वृंदा करात ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए नन के साथ हुई कार्रवाई को "असंवैधानिक" और "न्याय विरोधी" करार दिया।
नन से की मुलाकात, परिजनों से भी चर्चा
वृंदा करात ने बताया कि वे दुर्ग जेल में जाकर गिरफ्तार नन से मुलाकात कर चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने उन लड़कियों के अभिभावकों से भी बातचीत की है जिनका इस मामले में उल्लेख है। उन्होंने कहा, "हमने इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जानकारी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को दी है और एक तथ्यात्मक ज्ञापन भी सौंपा है।"
"FIR में धर्मांतरण और ह्यूमन ट्रैफिकिंग का जिक्र – पर क्या है सबूत?"
करात ने आरोप लगाया कि नन के खिलाफ धारा 370 (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) और धार्मिक परिवर्तन से जुड़ी धाराएं लगाई गई हैं, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, "हम पूछना चाहते हैं कि क्या छत्तीसगढ़ में कोई अलग संविधान लागू है? धर्म के नाम पर इस तरह की कार्रवाई बेहद चिंताजनक है।दोनों नन बीमार हैं उन्हें तेज बुखार है , उन्हें जमीन में सोना पड़ रहा है। उन्हें सिर्फ इसलिए प्रताड़ित किया जा रहा है क्योंकि वे ईसाई हैं।"
"बजरंग दल की भूमिका पर सवाल, पुलिस की मौजूदगी में हुई बदसलूकी"
प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी आरोप लगाया गया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जबरन नन के साथ मारपीट और गाली-गलौज की और बयान दिलवाने की कोशिश की। वृंदा करात ने कहा कि, "नन समाज के सबसे वंचित वर्ग—गरीब आदिवासियों—की सेवा कर रहे हैं। उनके साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया, वह न केवल मानवाधिकारों का हनन है, बल्कि एक सभ्य समाज को शर्मसार करने वाला है।"
FIR रद्द करने की मांग
वामपंथी नेताओं ने मांग की कि नन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। साथ ही उन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराने की मांग भी रखी।