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MP Politics : बीजेपी संगठन में कच्चे खिलाड़ी साबित हो रहे महाराज सिंधिया! आखिर क्यों?

MP Politics : बीजेपी संगठन में कच्चे खिलाड़ी साबित हो रहे महाराज सिंधिया! आखिर क्यों?

MP Politics : मध्यप्रदेश में बीजेपी ने लंबे समय बाद आखिरकार अपना नया अध्यक्ष चुन लिया है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए वैसे तो कई दावेदार थे, लेकिन तबज्जो प्रदेश के मुखिया मोहन यादव की पंसद को मिली। सीएम मोहन की पंसद हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष चुना गया है। सीएम मोहन यादव संगठन के लिहाज से प्रदेश के सबसे मजबूत नेता बनकर उभरे है। ऐसे में उनके सामने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हो या फिर अन्य कोई बड़ा नेता हो उनका कद छोटा रह गया है।

क्या बीजेपी में महाराज को तवज्जोह नहीं?

ये बात प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के बाद राजनैतिक गलियारों में होने लगी है कि बीजेपी के अंदर संगठन के दांवपेंच में महाराज सिंधिया कच्चे खिलाड़ी साबित होने लगे है। दरअसल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा संगठन के बीच तालमेल को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्रीय मंत्री सिंधिया को बीजेपी में आए लंबा समय हो गया, लेकिन आज भी संगठन की नियुक्यिों में सिंधिया को बीजेपी को कई तवज्जोह नहीं दे रही हैं। सिंधिया जब कांग्रेस में थे तब उनके बिना कांग्रेस में एक पत्ता तक नहीं हिलता था। चाहे कांग्रेस में संगठन की नियुक्तियां हो या फिर चुनावों में टिकट वितरण की बात हो, कांग्रेस का आला नेतृत्व मध्यप्रदेश में कोई भी फैसला लेने से पहले एक बार केंद्रीय मंत्री सिंधिया से रायशुमारी जरूर करता था, लेकिन बीजेपी में ऐसा नहीं है। महाराज सिंधिया बीजेपी में आकर सिर्फ एक सामान्य कार्यकर्ता बनकर रह गए है। बीजेपी प्रदेश के चुनाव में भी बीजेपी ने सिंधिया को पूरी तरह से दरकिनार कर रखा। 

कांग्रेस प्रवक्ता ​का हमला

मीडिया को दिए एक बयान में कांग्रेस प्रवक्ता डां राम पांडे ने कहा है कि जहां तक ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात करे तो, वो तीन में हैं, न तेरह में है। बीजेपी उनको बिल्कुल भी तवज्जोह नहीं दे रही है। ये तो प्रदेश अध्यक्ष की बात है। जब ग्वालियर का अध्यक्ष बनाया जाना था, तब सिंधिया जी को नहीं पूछा गया। ग्वालियर के सांसद लगातार उनका विरोध करते है। अभी जो हेमंत खंडेलवाल प्रदेश अध्यक्ष बने है, मोहन यादव प्रस्तावक थे, सिंधिया को सीधा से इशारा दे दिया गया की आप दूर रहीए... कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा है कि सिंधिया अगर अपने आप को थोड़ा बहुत कुछ समझते तो एकआद तुलसी सिलावट, प्रदुमन सिंह तोमर किसी न किसी का प्रस्तावक बनते। इसलिए सिंधिया जी को वहां कोई पूछ नहीं रहा है और उनके पास अब कोई चारा भी नहीं है। अब महाराज जांएगे तो जाएंगे कहां... अब सिंधिया जी की मजबूरी बन गई है, जो बीजेपी कहेगी, जैसे रखेगी वैसे रहना है। अब उनके पास कुछ बचा नहीं है कुछ करने के लिए। 

पार्टी का निर्णय सर्वमान्य : मंत्री सिलावट

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले सीएम मोहन यादव ने अपनी नेतृत्व क्षमता का बेहतरीन प्रदेर्शन किया है। उन्होंने तमाम दिग्गजों को दरकिनार करते हुए हेमंत खंडेलवाल के नाम पर मुहर लगाने में कामयाबी हासिल की है। ये सब देखकर महाराज सिंधिया मन ही मन बैचेन और हैरान होंगे। उन्हें हर वक्त कांग्रेस की याद जरूर आ रही होगी। क्योंकि कांग्रेस पार्टी में सिंधिया अलग ही दबदवा और अलग ही कद था। ग्वालियर अंचल के नेताओं को लेकर मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा है कि हमारी पार्टी में जो संदेश मिलता है, हम वो करते है। यहां अनुशासन सर्वोपरी है। भाजपा इसी बात से जानी जाती है। जो निर्णय हो गया, वो सबके लिए सर्वमान्य है। हम सब उसको स्वीकारते है। 

राजनीति के महाराज पर तंज

बता दें कि मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी में सिंधिया आला दर्जे के नेता थे। जब से वे बीजेपी में आए हैं तब से सिंधिया को संगठनों की नियुक्यिों में लगातार दरकिनार करते देखा जा रहा है। ऐसे में देखना होगा की सिंधिया संगठन में अपनी पकड़ को कैसे मजबूत करते है। कैसे वे खुद को साबित करेंगे कि वो बीजेपी में भी कांग्रेस की तरह कद्दावर नेता है। फिलहाल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए हेमंत खंडेलवाल की नियुक्ति के बाद अब कांग्रेस राजनीति के महाराज कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तंज कस रही है।


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