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किश्तवाड़ की तबाही: अचानक आई बाढ़ से 65 की मौत, 500 से ज्यादा लोग अब भी लापता , गांव बना श्मशान

किश्तवाड़ की तबाही: अचानक आई बाढ़ से 65 की मौत, 500 से ज्यादा लोग अब भी लापता , गांव बना श्मशान

जम्मू-कश्मीर:  किश्तवाड़ जिले के चसोटी गांव में अचानक आई बाढ़ ने पूरे इलाके को तबाही के मंजर में बदल दिया है। तेज बारिश के बाद आए फ्लैश फ्लड में अब तक 65 लोगों के शव बरामद किए गए हैं, जबकि 500 से ज्यादा लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। गांव का हर कोना मलबे में तब्दील हो चुका है और चारों ओर सिर्फ चीख-पुकार और मातम पसरा है।

रेस्क्यू में जुटी टीमें, लेकिन हर पल कीमती

सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें लगातार मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश कर रही हैं। BRO की मशीनों से रास्तों को साफ करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। कई जगहों पर रास्ते कट चुके हैं, जिससे राहत सामग्री पहुंचाना भी मुश्किल हो रहा है।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लिया जायजा, पीड़ितों से मिले

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार सुबह प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और चसोटी गांव में पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि, "जब तक एक-एक व्यक्ति का पता नहीं चल जाता, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहेगा। उसके बाद घटना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी ताकि यह जाना जा सके कि क्या कोई लापरवाही हुई।"

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि, "जब मौसम विभाग ने चेतावनी दी थी, तो प्रशासन ने समय रहते बचाव के उपाय क्यों नहीं किए?"

केंद्र सरकार की निगरानी में राहत कार्य

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद स्थिति की जानकारी ली है और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। राहत सामग्री, मेडिकल टीम और अन्य जरूरी संसाधन प्रभावित क्षेत्रों में रातों-रात पहुंचाए गए हैं।

संपत्ति को भी भारी नुकसान, गांव में पसरा सन्नाटा

इस त्रासदी में सिर्फ जानें ही नहीं गईं, कई घर, दुकानें, खेत और मवेशी भी बह गए हैं। लोगों के पास अब रहने की जगह नहीं है, खाने का सामान नहीं है और जीवन जीने की बुनियादी चीजें तक छिन गई हैं। चसोटी गांव आज एक वीरान बस्ती में तब्दील हो चुका है।

लोगों की पुकार: "हमें बस सुरक्षित रहने का मौका चाहिए"

स्थानीय निवासी और बचे हुए लोगों ने प्रशासन से स्थायी पुनर्वास और सुरक्षा व्यवस्था की मांग की है। उनका कहना है कि, "हर बार सिर्फ राहत नहीं चाहिए, हमें इस आपदा से बचने के लिए ठोस उपाय चाहिए।"


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