Dhirendra Shastri : बागेश्वर महाराज पंडित धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर विवादों में पढ़ सकते है। हाल ही में उन्होंने एक ऐसा बयान दिया है, जिसके चलते देश में बवाल हो सकता है। धीरेंद्र शास्त्री ने महंत प्रेमानंद जी के विचारों पर देश में हो रहे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जो लोग उपदेशक और भजनानंदी महात्मा प्रेमानंद जी का विरोध कर रहे हैं, उन्हें "पेट की बीमारी" है।
दरअसल, बागेश्वर धाम में प्रतिदिन रात्रि में 3 से 4 घंटे का दिव्य दरबार आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। बुधवार की रात को बागेश्वर महाराज ने कहा कि कुछ लोगों को उनसे समस्या थी, जिससे उन्हें लगा कि वे "उपद्रवी व्यक्ति" हैं। उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लोग अब तक डर-डर कर "हिंदू-हिंदू" चिल्लाते हैं, जबकि वे मंचों से खुलकर बोलते हैं। कुछ राजनेता जातियों के नाम पर राजनीति करते हैं, जबकि वे जातिवाद के खिलाफ और राष्ट्रवाद के पक्ष में हैं।
देश में हवस के पुजारी
उन्होंने आगे कहा कि इस देश में "हवस के पुजारी" हैं, तो "हवस का मौलवी, पास्टर" नहीं हो सकता, उन्होंने देश में माला के साथ भाला रखने की बात की, जबकि लोग मंचों से गंगा-जमुनी की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी क्यों नहीं हो सकती, और शायद इसी वजह से उनका विरोध होता है, और उन्हें गालियां मिलती हैं। यदि कुछ लोग हमारे विरुद्ध षडयंत्र रचते हैं, तो हमें लगा कि हममें ही दोष हैं लेकिन जब लोगों ने बाबा प्रेमानंद जी का विरोध किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि कुछ लोगों के पेट में समस्या है, महात्मा प्रेमानंद जी, जो उपदेशक और भजन प्रेमी हैं, का विरोध करना इस बात का प्रमाण है कि कई लोगों के पेट में आंतरिक समस्याएँ हैं उस दिन के बाद, मुझे यह भी लगा कि इस देश में सत्य बोलना बहुत कठिन है।
धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि यह भी सत्य है कि हर स्त्री और व्यक्ति बुरा नहीं होता, और हर किसी का अपने समाज को देखने का तरीका होता है। हर मज़हब में सभी व्यक्ति बुरे नहीं होते, लेकिन कुछ तो होते हैं। भले ही बुरे लोगों की भीड़ हो, यदि उसमें एक भी सत्यवादी व्यक्ति पहुँच जाता है, तो सबकी नज़र उसी पर जाएगी।