
रायपुर: उच्च शिक्षा विभाग की लेट-लतीफी से परेशान महाविद्यालय एक बार फिर हलाकान हो गए हैं। नवीन सत्र प्रारंभ हो चुका है, लेकिन महाविद्यालय प्रबंधन को यह ही समझ नहीं आ रहा है कि छात्रों को क्या पढ़ाएं? दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अब तक जेनेरिक इलेक्टिव विषय का शेड्यूल जारी नहीं किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत छात्रों को अपने संकाय के विषयों के अतिरिक्त अन्य संकाय के एक विषय का चुनाव करने की छूट मिलती है।
उदाहरणस्वरूप कला संकाय का छात्र आर्ट्स के विषय पढ़ने के साथ ही एक अन्य विषय वाणिज्य अथवा गणित-विज्ञान संकाय का पढ़ सकते हैं। इसे ही जेनेरिक इलेक्टिव विषय नाम दिया गया है। कौन से संकाय के छात्र किस वर्ष कौन से विषय जेनेरिक इलेक्टिव के रूप में चुन सकते हैं, इसका शेड्यूल जारी नहीं किया गया है।
फैकल्टी का शेड्यूल तय नहीं :
प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पिछले शैक्षणिक सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई थी। प्रथम वर्ष के दोनों सेमेस्टर की पढ़ाई करने के बाद छात्र अब तीसरे सेमेस्टर में प्रवेश करेंगे। जेनेरिक इलेक्टिव विषय निर्धारित नहीं होने के कारण महाविद्यालय अपने छात्रों को ना तो इसकी जानकारी दे पा रहे हैं और ना ही अध्यापन कार्य के लिए फैकल्टी का शेड्यूल ही तय कर पा रहे हैं।
जुड़ते हैं अंक:
एनईपीई में सेमेस्टर पद्धति से परीक्षा होने के कारण छात्रों को प्रत्येक 5 माह में परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है। महाविद्यालयों पर भी समय पर पाठ्यक्रम पूर्ण कराने का दबाव है, ताकि परिणाम खराब ना हो। जेनेरिक इलेक्टिव विषय के अंक अंतिम नतीजों में जोड़े जाते हैं। इस कारण महाविद्यालय अधिक चिंतित हैं। गत शैक्षणिक सत्र में भी प्रथम सेमेस्टर के पश्चात द्वितीय सेमेस्टर में जेनेरिक इलेक्टिव विषय के चयन के दौरान कुछ संकाय के छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। उस वक्त छात्रों को उन विषयों से संबंधिक विकल्प उपलब्ध नहीं हो सके थे, जिनका चुनाव उन्होंने प्रथम सेमेस्टर के दौरान किया था।
अध्यापन नहीं:
हमें अभी जेनेरिक इलेक्टिव सब्जेक्ट के विकल्प ही नहीं बताए गए हैं। इस कारण नए सत्र के लिए हमने इसका शेड्यूल तय नहीं किया है।