होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
अध्यात्म
मनोरंजन
सेहत
जॉब अलर्ट
जरा हटके
फैशन/लाइफ स्टाइल

 

अमेरिका-सऊदी अरब की बड़ी रणनीतिक साझेदारी: परमाणु ऊर्जा, F-35 फाइटर जेट और 300 टैंकों की ऐतिहासिक डील...

अमेरिका-सऊदी अरब की बड़ी रणनीतिक साझेदारी: परमाणु ऊर्जा, F-35 फाइटर जेट और 300 टैंकों की ऐतिहासिक डील...

वॉशिंगटन डीसी में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई देने वाले कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को “मेजर नॉन-नाटो एलाय” का विशेष दर्जा देने की घोषणा भी की यह प्रतिष्ठित दर्जा अब तक केवल 19 देशों के पास है।

नागरिक परमाणु ऊर्जा पर दीर्घकालिक साझेदारी:

व्हाइट हाउस के अनुसार, अमेरिका और सऊदी अरब ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी कोऑपरेशन पर संयुक्त घोषणा-पत्र को मंजूरी दी है। यह समझौता आने वाले दशकों तक चलने वाले बहु-अरब डॉलर के प्रोजेक्ट्स की नींव रखता है। यह सहयोग कड़े परमाणु अप्रसार नियमों के तहत आगे बढ़ेगा। सऊदी अरब को शांतिपूर्ण उपयोग के लिए अत्याधुनिक परमाणु तकनीक हासिल होगी।

रक्षा साझेदारी में बड़ा कदम:

ट्रंप प्रशासन ने रक्षात्मक मोर्चे पर सऊदी अरब के लिए अब तक की सबसे बड़ी आधुनिक हथियार डील को मंजूरी दी है।इस समझौते में भविष्य में F-35 स्टील्थ फाइटर जेट की आपूर्ति और करीब 300 अमेरिकी लड़ाकू टैंक शामिल है. इजराइल reportedly इस बात पर चिंतित था कि F-35 तभी बेचे जाएं जब सऊदी अरब अब्राहम समझौते से जुड़े। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस शर्त पर आगे नहीं बढ़ते हुए सौदे को मंजूरी देने का निर्णय लिया। सऊदी अरब का अमेरिका में निवेश बढ़कर 1 ट्रिलियन डॉलर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिकी राष्ट्रपति को बताया कि उनका देश अमेरिका में निवेश को 600 अरब डॉलर से बढ़ाकर 1 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाएगा। इन निवेशों के क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI),  हाई-टेक इंडस्ट्रीज़, जेट इंजन और एडवांस्ड डिफेंस इक्विपमेंट शामिल होंगे. यह निवेश अमेरिकी उद्योग और तकनीक को नई गति देगा। 

मेजर नॉन-नाटो एलाय का दर्जा: 

रिश्तों में आएगी नई गहराई सऊदी अरब को Major Non-NATO Ally (MNNA) का दर्जा मिलने से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, खुफिया साझेदारी, सैन्य तकनीक तक पहुंच, रणनीतिक तालमेल, पहले से कहीं अधिक मजबूत होने की संभावना है। अमेरिका और सऊदी अरब के बीच हुए ये समझौते दोनों देशों की रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी को अगले कई दशकों के लिए नई दिशा देते हैं। परमाणु ऊर्जा सहयोग से लेकर F-35 और टैंकों की डील तथा 1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश तक यह साझेदारी वैश्विक राजनीति और रक्षा पर बड़ा प्रभाव डालने वाली है।


संबंधित समाचार