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28 दिसंबर को छत्तीसगढ़ में आउटसोर्स कर्मचारियों का राज्यव्यापी विरोध

28 दिसंबर को छत्तीसगढ़ में आउटसोर्स कर्मचारियों का राज्यव्यापी विरोध

छत्तीसगढ़ के विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत एक लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी 28 दिसंबर को बड़े पैमाने पर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराने जा रहे हैं। कर्मचारियों की मुख्य मांगों में सेवा नियमितीकरण, आउटसोर्सिंग प्रणाली समाप्त करना, और समान काम के लिए समान वेतन शामिल है।

फेडरेशन ने लगाए गंभीर आरोप

छत्तीसगढ़ प्रगतिशील अनियमित कर्मचारी फेडरेशन ने कहा है कि विभागों में वर्षों से काम कर रहे कर्मचारी न्यूनतम मजदूरी, पीएफ, ग्रेच्युटी और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभों से वंचित हैं।
फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल प्रसाद साहू ने बताया कि करीब सौ एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त कर्मचारी लगातार शोषण का सामना कर रहे हैं।

उमा देवी फैसले के विपरीत स्थिति

फेडरेशन का कहना है कि लंबे समय से काम कर रहे कर्मचारियों को अभी तक नियमित नहीं करना सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी केस के फैसले का उल्लंघन है। कर्मचारियों को समान काम के बदले समान वेतन नहीं दिया जा रहा, जबकि उनसे स्थायी कर्मचारियों जैसा ही काम कराया जाता है।

सरकार पर 276 करोड़ की फिजूलखर्ची का आरोप

कर्मचारी संगठनों ने दावा किया है कि राज्य सरकार हर साल 276 करोड़ रुपये सिर्फ एजेंसी शुल्क और जीएसटी में खर्च कर रही है, जबकि असल कर्मचारियों को उनका उचित हक नहीं मिल रहा है।
कर्मचारी इसे सरकारी संसाधनों की बर्बादी बताते हैं।

श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ने का दावा

फेडरेशन का आरोप है कि प्रदेश में श्रम संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, और सामाजिक सुरक्षा संहिता का पालन नहीं हो रहा।
कर्मचारी कहते हैं कि नियमों का सही प्रावधान लागू कर दिया जाए तो हज़ारों परिवारों की स्थिति सुधर सकती है।

आंदोलन की तैयारी अंतिम चरण में

फेडरेशन ने कहा है कि 28 दिसंबर का यह आंदोलन ऐतिहासिक होगा।
कर्मचारी चेतावनी दे चुके हैं कि जब तक नियमितीकरण पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, विरोध जारी रहेगा।

 

 


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