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श्री सीमेंट परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का उफान, 200 से ज्यादा ट्रैक्टरों के साथ जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन

श्री सीमेंट परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का उफान, 200 से ज्यादा ट्रैक्टरों के साथ जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन

खैरागढ़ क्षेत्र में सण्डी चूना पत्थर खदान और प्रस्तावित श्री सीमेंट लिमिटेड परियोजना के विरोध ने शनिवार को बड़ा स्वरूप ले लिया। आसपास के सैकड़ों गांवों से हजारों किसान भारी संख्या में ट्रैक्टर–ट्रॉलियों के साथ छुईखदान की ओर रवाना हुए। महिलाओं, नौजवानों और बुज़ुर्गों की उपस्थिति ने आंदोलन को जनसैलाब में बदल दिया।
पुलिस ने काफिले को शहर की सीमा पर रोकने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण पैदल मार्च करते हुए एसडीएम कार्यालय तक पहुंच गए और विरोध दर्ज कराते हुए जनसुनवाई रद्द करने की मांग का ज्ञापन सौंपा।

39 गांवों ने दस्तावेज़ी विरोध दर्ज कराया, पंचायतों के प्रस्ताव भी परियोजना के खिलाफ

खदान स्थल के आसपास के 10 किलोमीटर दायरे में आने वाले 39 गांवों ने लिखित आपत्ति प्रस्तुत करते हुए साफ कहा है कि वे किसी भी स्थिति में इस परियोजना को मंज़ूर नहीं करेंगे।
सण्डी, पंडारिया, विचारपुर और भरदागोड़ जैसे पंचायतों ने ग्रामसभा प्रस्ताव पास कर चेतावनी दी है कि खदान शुरू होने पर जलस्रोतों, कृषि भूमि, पशुधन और पर्यावरण को गंभीर क्षति होगी, जिससे पूरे क्षेत्र का भविष्य प्रभावित होगा।

ग्रामीणों का आरोप— “जनसुनवाई केवल औपचारिकता, असली मुद्दों को नजरअंदाज किया गया”

स्थानीय निवासियों का कहना है कि परियोजना से होने वाला प्रदूषण और संभावित विस्थापन उनकी रोज़ी–रोटी पर सीधा असर डालेगा।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन जनसुनवाई की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नहीं कर रहा है और प्रभावित गांवों की वास्तविक राय को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। 11 दिसंबर को तय जनसुनवाई को लेकर क्षेत्र में तनाव और जनआक्रोश बढ़ता जा रहा है।

ग्रामीणों की चेतावनी— “जब गांव पहले ही मना कर चुके, तो जनसुनवाई की कोई जरूरत नहीं”

किसानों का कहना है कि जब ग्रामीण क्षेत्रों ने दस्तावेज़ी रूप से परियोजना को नकार दिया है, तो जनसुनवाई का कोई औचित्य ही नहीं बचता।
कई गांवों और संगठनों के समर्थन से यह विरोध अब एक व्यापक जनआंदोलन में बदल गया है। ग्रामीण स्पष्ट चेतावनी दे चुके हैं कि यदि उनकी मांगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन और अधिक तेज़ और चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ेगा।


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