होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
बिजनेस
मनोरंजन
जरा हटके
सेहत
अध्यात्म
फैशन/लाइफ स्टाइल

 

Research Methodology: शासकीय दू ब महिला स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का हुआ समापन 

Research Methodology: शासकीय दू ब महिला स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का हुआ समापन 

Research Methodology:  शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में प्राचार्य डॉ. किरण गजपाल के मार्गदर्शन में समाजशास्त्र एवं अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में राज्य स्तरीय दो दिवसीय कार्यशाला दिनाँक 13 फरवरी से आयोजित किया गया, जिसका आज दूसरा और समापन दिन रहा.  

"कोई भी विषय इतना पुराना नही होता कि कुछ किया नही जा सकता" : डॉ. आर. ब्रम्हे: 

द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में विशेषज्ञ के रूप में डॉ. आर. ब्रम्हे ,प्राध्यापक पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर उपस्थित रहे। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि कोई भी विषय इतना पुराना नही होता कि इसके बारे में कुछ किया नही जा सकता । रिसर्च में जासूस कि तरह कार्य करना होता है  रिसर्च जरूरी है जिससे सरकारी नीतियों के निर्माण एवं विकास के द्वार खुले। अर्थशास्त्र का एक लाइन कि खोज भी महत्वपूर्ण होती है पहले आप तय कीजिये आपका विषय कैसा हो?

READ MORE: 'केंद्र और राज्य सरकार गरीबों से जमीन छीन कर उद्योगपतियों को देना चाहती है': राकेश टिकैत

जिस प्रकार छन्नी के माध्यम से अनावश्यक चीजो को बाहर निकल दिया जाता है उसी प्रकार आवश्यक तथ्यों को रखा जाता है |  रिसर्च का विषय महवपूर्ण होता है और उस विषय से संबंधित  पूर्व कार्य का अध्ययन आवश्यक हो जाता है। अच्छे आर्टिकल्स दुनिया के जर्नल्स में आपको मिल जायेंगे। आगे उन्होंने कहा कि कोई भी कलाकार अपनी कला के माध्यम से किसी भी कला को उत्कृष्टता प्रदान करता है । उसी प्रकार किसी एक विषय को भिन्न- भिन्न तरीके से प्रस्तुत किया  जा सकता है। एक रिसर्चर के  मन मे प्रश्नों का आना एवं उन प्रश्नों के उत्तर खोजने की ललक ही अच्छे रिसर्च को बढ़ावा देता है।

READ MORE: PULWAMA ATTACK में दिग्विजय सिंह के तंज से देश भर के सैनिक परिवारों में बना आक्रोश का माहौल , दिए करारा जवाब
                   
प्लेगेरिज्म, रिसर्च में कभी भी नक़ल नही होना चाहिए: डॉ. उषाकिरण अग्रवाल 

 डॉ. उषाकिरण अग्रवाल ने अपने व्यख्यान में प्लेगेरिज्म पर विस्तृत जानकारी दी।उन्होंने  कहा कि रिसर्च  व्यक्तिगत न होकर समाज के लिए फायदेमंद होना चाहिए | रिसर्च में भूल जाना है कि जाति ,धर्म ,मेरा क्या है ?  रिसर्च में कभी भी नक़ल नही होना चाहिए | रिसर्च में प्रत्येक डाटा का उचित आंकलन आवश्यक है। किसी अन्य के डेटा को अपने शोध में शामिल न किया जाए। फेक और अवांछित डाटा से रिसर्च की विश्वसनियता खत्म हो सकता  है। ऐसे साफ्टवेर आज उपलब्ध जिससे किसी भी शोध को जाना जा सकता है कि लिया गया अंश कहा से लिया गया है । अतः किसी भी चोरी से बचना चाहिए । उन्होंने रिमिक्स,हाइब्रिड, एग्रेगेटर, फॉरवर्ड ,रि- ट्वीट आदि पर प्रभावी व्यख्यान दिया।

READ MORE: जांजगीर-चांपा जिले में मिली पत्रकार की बेटी का संदिग्ध हालत में लाश, पुलिस ने सबूत इकट्ठा कर मामला दर्ज किया
 
सभी प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक ने संभाला अपना काम:  

कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. दिनेश कुमार मस्ता द्वारा किया गया | विशेषज्ञों का परिचय डॉ. मनीषा महापात्र द्वारा किया गया |समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ. श्रद्धा गिरोलकर ने वर्क शाप की रूपरेखा प्रस्तुत की | डॉ. प्रीति शर्मा एवं अर्थशास्त्र की विभागाध्य्क्ष डॉ. प्रीति कंसारा द्वारा प्रतिभागियों से फीडबैक लिया गया | डॉ. अनीता दीक्षित एवं प्रमिला नागवंशी द्वारा वर्कशॉप के विषय पर प्रतिभागियों द्वारा समीक्षात्मक विचार् आमन्त्रित किये गया | कार्यक्रम के अंतिम सत्र में डॉ. आर. श्रीधर , कुलपति कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर  द्वारा प्रमाणपत्र वितरित किये गए | इस कार्यशाला में 65 प्रतिभागी एवं शोधार्थी अन्य महाविद्यालयों के प्राध्यापक ,सहायक प्राध्यापक एवं महाविद्यालय ले समस्त प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक उपस्थित थे | 

READ MORE: फांसी पर लटकी मिली RES विभाग के अधिकारी की लाश


Latest News Video यहाँ देखें:

 


संबंधित समाचार