52 Shaktipeeths 40 Mithila Shaktipeeth: भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित मिथिला शक्तिपीठ, जिसे उमा देवी मंदिर भी कहा जाता है, देवी भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है। मान्यता है कि यहीं माता सती का वाम स्कंध (बायां कंधा) गिरा था, जिसके कारण यह स्थान शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र बन गया। यह शक्तिपीठ एकल स्थान नहीं, बल्कि तीन पवित्र मंदिरों के समूह के रूप में जाना जाता है। यही विशेषता इसे अन्य शक्तिपीठों से अलग पहचान देती है।मिथिला शक्तिपीठ की प्रमुख देवी देवताओं में देवी रूप उमा, महादेवी भैरव रूप: महोदर (भगवान शिव का भैरव स्वरूप) शामिल हैं।
मिथिला शक्तिपीठ के तीन पवित्र स्थल:
जनकपुर स्थित उमा देवी मंदिर (नेपाल) मुख्य शक्तिपीठ नेपाल के जनकपुर में, भारत की सीमा के बेहद निकट स्थित यह मंदिर मिथिला शक्तिपीठ का मुख्य स्थान माना जाता है। लोकमान्यताओं के अनुसार यहीं देवी सती का कंधा गिरा था। यह स्थान श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
उच्चैठ वनदुर्गा मंदिर (मधुबनी, बिहार, भारत) मधुबनी जिला, बेनीपट्टी के पास स्थित उच्चैठ गाँव का वनदुर्गा मंदिर मिथिला शक्तिपीठ से जुड़ा दूसरा महत्वपूर्ण स्थल है। यहां की पौराणिक और आध्यात्मिक मान्यताएँ इसे अत्यंत पवित्र बनाती हैं।
उग्रतारा मंदिर (सहरसा, बिहार) बिहार के सहरसा जिले में स्थित उग्रतारा मंदिर शक्तिपीठ के तीसरे भाग के रूप में जाना जाता है। यहाँ देवी उग्रतारा के रूप में शक्ति का पूजन होता है और यह स्थल तंत्र साधना के लिए भी विशेष प्रसिद्ध है।
क्यों कहलाता है ‘मिथिला शक्तिपीठ’:
मिथिला क्षेत्र की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान इस शक्तिपीठ से गहराई से जुड़ी है। तीन अलग-अलग स्थानों पर देवी शक्ति की उपस्थिति और जनकपुर से ऐतिहासिक संबंध इसे मिथिला शक्ति त्रिकोण की मान्यता प्रदान करते हैं। मिथिला शक्तिपीठ महज एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का संगम है। जनकपुर, उच्चैठ और उग्रतारा तीनों मिलकर इस शक्तिपीठ को पूर्णता प्रदान करते हैं, जहाँ देवी भक्त पूरे वर्ष दर्शन के लिए पहुंचते हैं।