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INH Exclusive : कमलनाथ का बयान-शिवराज चाहें जितना एक्टिंग कर लें, मतदाता समझदार है

INH Exclusive : कमलनाथ का बयान-शिवराज चाहें जितना एक्टिंग कर लें, मतदाता समझदार है

भोपाल। भाजपा के इस आरोप पर कि वल्लभ भवन को दलालों का अड्डा बना रखा था? पूर्व सीएम व पीसीसी चीफ कमलनाथ का कहना है कि वल्लभ भवन में कैमरे लगे हैं। मुख्यमंत्री निवास पर कैमरे लगे हैं। जांच करवा लें कि कौन-कौन लोग आते थे। कुछ चीज छिपी तो है नहीं, सब रिकॉर्डेड है। इनके पास कहने के लायक बात नहीं तो कुछ भी बोल रहे हैं है। अड्डा था तो बताएं कौन-कौन लोग आए, जिन्हें नहीं आना चाहिए था। कौन से व्यापारी आते थे। कमलनाथ हरिभूमि व आईएनएच न्यूज चैनल के विशेष कार्यक्रम सार्थक संवाद में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ विशेष बातचीत कर रहे थे।

सवाल : भाजपा आपको बड़ा उद्योगपति कहती है, फिर भी आप सौदेबाजी की राजनीति में हार गए?

जवाब : मुझे सौदेबाजी की राजनीति करना ही नहीं थी। उद्योगपति वाली बात शिवराज ने कही। मैंने तो उनको चैलेंज किया एक उद्योग मेरे नाम से बता दें, जिसका मैं मालिक हूं। किसी भी बात को लेकर ये झूठ बोल देते हैं। शिवराज जी जैसा राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर झूठ बोलने वाला नहीं मिल सकता। शिवराज जी जितनी भी एक्टिंग कर लें, आज का मतदाता समझदार है। इसलिए तो उन्होंने नवंबर 2018 में इन्हें विदा किया था। पिछले 7 महीनों में मतदाताओं को और निराशा हुई।

सवाल : चुनाव चरम पर है, कमलनाथ कितने संतुष्ट हैं और कितने असंतुष्ट?

जवाब : मैं मध्यप्रदेश के मतदाताओं से संतुष्ट हूं। कांग्रेस के कार्यकर्ता जो जमीन पर काम कर रहे हैं, सड़क पर हैं, गांव-गांव दौरा कर रहे हैं उनसे संतुष्ट हूं। मुझे मतदाताओं पर पूरा भरोसा है। आज सोशल मीडिया का युग है, मतदाता समझदार है, इन्हें कोई पटा नहीं सकता। किसान तरस रहे हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है। कोविड की अव्यवस्था है। 7 महीने की भाजपा सरकार की यही उपलब्धि है और 15 साल की उपलब्धि पर तो जनता ने इन्हें घर बैठाया था।

सवाल : अपने नेताओं से क्यों संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं, वे भाजपा में जा रहे हैं?

जवाब : मैं अपने नेताओं से संतुष्ट हूं। सब एक हैं और अपने-अपने काम में जुटे हैं। पर अगर कोई सौदा कर ले या बिक जाए तो मेरा संतुष्ट या असंतुष्ट होने का कोई सब्जेक्ट नहीं रहता है। ये जो 25 गए, किसलिए गए, आम जनता जानती है। मुझे सौदेबाजी की राजनीति करनी होती तो मैं मार्च के पहले कर लेता। मैं तो जानता था कई महीने पहले से कि ये सौदा कर रहे हैं, इनको इंस्टॉलमेंट मिल रही है। पर मैं नहीं चाहता था कि सौदेबाजी की राजनीति का मप्र में बीज बोया जाए।

सवाल : 1980 से आप राजनीति कर रहे हैं, 15 महीने सीएम क्या बने इतने आरोपों के जद में आ गए?

जवाब : कौन से आरोप? न डंपर है, न ई-टेंडर और न ही व्यापमं, कौन से आरोप। उद्योगपति ये आरोप है। मैं पूछता हूं कौन से में नाम है बता दें, ये बताते नहीं हैं। आज भाजपा कुछ कहने लायक नहीं है। आज शिवराज जी हिसाब नहीं दे पा रहे हैं, न 15 साल की सरकार का और न 7 माह के कार्यकाल का। ये ध्यान मोड़ने की राजनीति में माहिर हैं और वही कर रहे हैं।

सवाल : वल्लभ भवन दलालों का अड्डा है, कपटनाथ और कमरनाथ जैसे आरोप भाजपा ने लगाए?

जवाब : वल्लभ भवन में कैमरा होते हैं, मुख्यमंत्री निवास पर कैमरे लगे हैं। कुछ चीज छिपी तो हैं नहीं, सब रिकॉर्डेड है। इनके पास कहने के लायक बात नहीं तो कुछ भी बोल रहे हैं है। अड्डा था तो बताए कौन-कौन लोग आए, जन्हिें नहीं आना चाहिए था। कौन से व्यापारी आते थे। मिलावट और माफिया के खिलाफ मैंने युद्ध छेड़ा, जन्हिें भाजपा ने पाला-पोसा था। प्रदेश की पहचान माफिया से थी इसलिए कोई निवेश के लिए नहीं आता था और बेरोजगारी बढ़ी।

सवाल : आपके अनुसार उपचुनाव में आखिर मुद्दा क्या बन पाया?

जवाब : बिकाऊ, सौदेबाजी और गद्दारी मुद्दा है। भाजपा ने प्रदेश को जिस बर्बादी की ओर ले गए, ये मुद्दा है। जनता इसकी गवाह है। किसान जानता है कर्जमाफ हुआ या नहीं। पहले ये झूठ बोलते रहे फिर विधानसभा में स्वीकार किया कि 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ। अब कहते हैं सबका नहीं हुआ, फिर कहेंगे इसका नहीं हुआ। 28 सीटों पर मतदाता इन्हें तमाचा मारने वाले हैं।

सवाल : कहीं मलाल आता है कि बचा कर्जा माफ कर देते तो ऐसी जुबानें नहीं खुलती?

जवाब : मैंने इसके लिए तीन कस्तिें बनाई थीं। दूसरी कस्ति चालू थी। अगर इन्होंने नोटों की सरकार नहीं बनाई होती तो आज तक सब किसानों का कर्जा माफ हो गया होता। ये तो पहले से घोषित था। सब किसान इससे संतुष्ट हैं। अगर 27 लाख किसानों को वश्विास है तो बाकी 10 लाख को भी वश्विास है, वो ही गवाह हैं मेरे। मुझे शिवराज का सार्टिफिकेट नहीं चाहिए।

सवाल : चुनाव किसके खिलाड़ लड़ रहे हैं शिवराज के या महाराज के?

जवाब : ये चुनाव जनता और भाजपा के बीच है और भाजपा का चेहरा शिवराज हैं। अब सिंधिया एक नया चेहरा बनकर उभरे हैं। ये चेहरा कितना चलने वाला है 10 नवंबर को वोटो की गिनती से सब साफ हो जाएगा। यदि यह उपचुनाव सिंधिया का है तो वह खुद क्यों नहीं जीते। आप दूसरों को चुनाव जितवाते हो और खुद हारते हो।

सवाल : कमलनाथ भाजपा में एक सिंधिया को क्यों नहीं खोज पाए?

जवाब : मुझे खोजने की जरूरत नहीं थी और मैं इस खोज में भी नहीं था। हमारे अपने कांग्रेस के नेता पर्याप्त हैं। वो लोग शायद भाजपा के लिए पर्याप्त नहीं हों। तब वो बाजार गए। बाजार में जो बिकाऊ मिला खरीद लाए।

सवाल : राहुल लोधी कहते थे अंगद का पांव हैं, दशहरे के दिन अंगद का पांव उखड़ गया?

जवाब : भाजपा को इनकी आवश्यकता है, वो जानते हैं उनकी क्या हालत होने वाली है, इसलिए बाजार में घूम रहे हैं। बहुतों को फोन कर रहे हैं। मैं इस तरह की सौदेबाजी की राजनीति में विश्वास नहीं करता।


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