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हिंगलाज माता शक्तिपीठ: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आस्था, शक्ति और हिन्दू-मुस्लिम एकता का अद्भुत संगम...

हिंगलाज माता शक्तिपीठ: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आस्था, शक्ति और हिन्दू-मुस्लिम एकता का अद्भुत संगम...

52 Shaktipeeths 51 Hinglaj Mata Shaktipeeth: पाकिस्तान में स्थित हिंगुला माता मंदिर न सिर्फ हिंदू आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, बल्कि यह सदियों से धार्मिक सौहार्द और हिन्दू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक रहा है। बलूचिस्तान प्रांत के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में स्थित यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में गिना जाता है और देवी सती को समर्पित है। इसे हिंगुला देवी, हिंगलाज देवी और स्थानीय रूप से ‘नानी मंदिर’ या ‘नानी पीर’ के नाम से जाना जाता है।

हिंगुला माता शक्तिपीठ का स्थान:

हिंगुला माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के तट पर, हिंगोल नेशनल पार्क के मध्य स्थित है। चारों ओर पहाड़, रेगिस्तान और प्राकृतिक गुफाओं से घिरा यह मंदिर अपने आप में आध्यात्मिक ऊर्जा और रहस्यमय वातावरण समेटे हुए है। दुर्गम रास्तों और सैकड़ों सीढ़ियों को पार कर श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

पौराणिक महत्व और कथा:

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब माता सती ने यज्ञ कुंड में स्वयं को अग्नि को समर्पित कर दिया था, तब भगवान शिव उनके पार्थिव शरीर को लेकर तांडव करने लगे। सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51/52 भागों में विभाजित किया। मान्यता है कि हिंगुला शक्तिपीठ में माता सती का सिर (ब्रह्मरंध्र) गिरा था। इसी कारण यह स्थल अत्यंत पवित्र माना जाता है और यहाँ माता को सौभाग्य, दीर्घायु और पापों से मुक्ति देने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।

हिंगुला माता आस्था और विश्वास:

हिंगुला माता मंदिर को पाकिस्तान में हिंदुओं का सबसे बड़ा तीर्थस्थल माना जाता है। मान्यता है कि यहाँ तीन दिन तक विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से भक्त अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं। श्रद्धालु माता को नारियल, गुलाब की पंखुड़ियाँ और प्रसाद अर्पित करते हैं।

पाकिस्तान की सबसे बड़ी हिंदू तीर्थयात्रा:

हर वर्ष वसंत ऋतु में हिंगलाज माता के दर्शन के लिए ‘हिंगुला यात्रा’ का आयोजन किया जाता है। यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी हिंदू तीर्थयात्रा मानी जाती है, जिसमें एक लाख से अधिक श्रद्धालु भाग लेते हैं। दूर-दराज़ क्षेत्रों से आने वाले भक्त कठिन यात्रा के बाद माता के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।

हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक:

हिंगुला माता मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसका सांप्रदायिक सौहार्द है। स्थानीय मुस्लिम समुदाय इस स्थान को ‘नानी पीर’ कहकर सम्मान देता है। कई मुस्लिम श्रद्धालु भी माता में आस्था रखते हैं और मंदिर की सेवा में सहयोग करते हैं। यही कारण है कि हिंगुला मंदिर को हिन्दू-मुस्लिम एकता का जीवंत प्रतीक माना जाता है।

पाकिस्तान में स्थित अन्य शक्तिपीठ:

हिंगुला माता मंदिर पाकिस्तान में स्थित तीन शक्तिपीठों में से एक है। इसके अलावा शिवाहरकराय शक्तिपीठ, शारदा पीठ, ये सभी स्थल भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के साक्षी हैं।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

हिंगुला शक्तिपीठ न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सनातन परंपरा और आपसी भाईचारे की भावना को भी दर्शाता है। सीमाओं से परे यह मंदिर आज भी श्रद्धा, विश्वास और शांति का संदेश देता है।


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