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Delhi High Court ने आतंकवादी यासीन मलिक को जारी किया नोटिस, एनआईए ने की सजा ए मौत की मांग 

Delhi High Court ने आतंकवादी यासीन मलिक को जारी किया नोटिस, एनआईए ने की सजा ए मौत की मांग 

Delhi High Court ने कश्मीरी अलगाववादी नेता और सजायाफ्ता आतंकवादी यासीन मलिक (Yasin Malik) को मौत की सजा की मांग वाली याचिका पर 29 मई यानि आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ने नेता यासीन मलिक को नोटिस जारी किया है। यह याचिका राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के द्वारा दायर की थी। 26 मई को, एनआईए ने मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का रूख किया था। इसमें उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि इस तरह के खूंखार आतंकवादी (Terrorist) को मौत की सजा नहीं देना न्याय के खिलाफ होगा। 

जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख को पिछले साल एक ट्रायल कोर्ट (Trial Court) ने एक टेरर फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यासीन मलिक (Yasin Malik) ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को कबूल कर लिया था। इसमें यूएपीए (UAPA) के तहत आरोप लगे हुए आरोप भी शामिल हैं। एनआईए (NIA) के लिए अपील करते हुए एसजे जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने तर्क दिया कि मलिक को दोषी मानने के बाद भी अगर मौत की सजा नहीं दी गई तो यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा। इसके साथ ही, आतंकवादियों के पास मृत्यु से बचने का एक रास्ता होगा।

तुषार महता ने दिया तर्क 
इस मामले की सुनवाई के दौरान ही जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की बेंच के समक्ष मेहता ने कहा कि यदि ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden) पर मामला चलाया गया होता, तो क्या उसे अपने दोष कबूल करने का मौका दिया जाता। इस पर पीठ ने कहा कि यासीन मलिक का मामला अलग है। ओसामा बिन लादेन लादेन ने कभी भी कहीं भी किसी मामले में कोर्ट का सामना नहीं किया था। हम यासीन की तुलना ओसामा बिन लादेन Osama bin Laden से नहीं कर सकते हैं। साथ ही, कोर्ट ने यासीन को नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई को 9 अगस्त तक के लिए टाल दिया है।

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