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52 Shaktipeeths: माताबाढ़ी पर्वत पर विराजित त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ, जो है सृष्टि, स्थिति और संहार प्रतिक, जानिए इसका महत्त्व...

52 Shaktipeeths: माताबाढ़ी पर्वत पर विराजित त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ, जो है सृष्टि, स्थिति और संहार प्रतिक, जानिए इसका महत्त्व...

52 Shaktipeeths 18 Tripura Shaktipeeth: भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक त्रिपुरा शक्तिपीठ को देवी सती के पवित्र अंग से जुड़ा अत्यंत शक्तिशाली स्थल माना जाता है। यह पवित्र स्थान त्रिपुरा राज्य के उदयपुर शहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर राधाकिशोरपुर गाँव में माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर स्थित है।

देवी त्रिपुर सुंदरी  और भैरव त्रिपुरेश:

इस स्थान की अधिष्ठात्री देवी को त्रिपुर सुंदरी कहा जाता है। वे सौंदर्य, शक्ति और करुणा का अद्भुत संगम हैं। यहाँ के भैरव को त्रिपुरेश नाम से जाना जाता है, जो इस पवित्र स्थल की दिव्य ऊर्जा की रक्षा करते हैं। माँ त्रिपुर सुंदरी का स्वरूप त्रिकोणाकार है, जो सृष्टि, स्थिति और संहार के तीन पहलुओं का प्रतीक माना जाता है। इस कारण इस स्थान को “कूर्भपीठ” भी कहा जाता है।

मंदिर का निर्माण और ऐतिहासिक महत्व:

इस भव्य मंदिर का निर्माण महाराजा धन्य माणिक्य द्वारा 1501 ईस्वी में कराया गया था। यह मंदिर त्रिपुरा की माणिक्य वंश की आस्था और स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। मंदिर की वास्तुकला बंगाल और भारतीय शैली का मिश्रण है, जिसमें लाल पत्थरों से बनी मूर्तियाँ और नक्काशीदार दीवारें विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।

 स्थान और धार्मिक महत्ता:

त्रिपुर सुंदरी मंदिर त्रिपुरा के उदयपुर शहर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है। यह स्थान कूर्भपीठ नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यह कूर्म (कछुआ) के आकार के पर्वत पर बसा हुआ है। हर वर्ष हजारों भक्त यहाँ आकर माँ के दर्शन करते हैं और शक्ति प्राप्ति की कामना करते हैं।

आस्था और दर्शन का केंद्र:

माँ त्रिपुर सुंदरी के इस शक्तिपीठ में नवरात्रि और दीवाली के समय भक्तों की विशेष भीड़ रहती है। यहाँ आयोजित त्रिपुर सुंदरी मेला राज्य का प्रमुख धार्मिक उत्सव माना जाता है। यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि यह भारत की संस्कृति, आस्था और देवी शक्ति की अद्भुत विरासत का जीवंत प्रतीक है।  त्रिपुरा का त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ न केवल देवी सती के पवित्र अंगों में से एक के गिरने से पावन हुआ है, बल्कि यह स्थान श्रद्धा, सौंदर्य और भक्ति का अद्वितीय संगम है। यहाँ माँ के दर्शन से जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।


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