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यशोरेश्वरी शक्तिपीठ: बांग्लादेश का प्राचीन और जागृत तीर्थस्थल, जहाँ गिरी देवी सती की पवित्र हथेली ...

यशोरेश्वरी शक्तिपीठ: बांग्लादेश का प्राचीन और जागृत तीर्थस्थल, जहाँ गिरी देवी सती की पवित्र हथेली ...

52 Shaktipeeths 45 Yashoreshwari Mata Shaktipeeth: माता सती के 52 प्रमुख शक्तिपीठों में से एक यशोरेश्वरी शक्तिपीठ बांग्लादेश में स्थित एक अत्यंत महत्वपूर्ण और दिव्य तीर्थस्थल है। यह मंदिर अपनी विशिष्ट धार्मिक मान्यता और पौराणिक इतिहास के लिए जाना जाता है भारत–बांग्लादेश सीमा के पास स्थित पवित्र धाम यशोरेश्वरी काली मंदिर बांग्लादेश के खुलना डिवीज़न  के श्यामनगर उपज़िला में, ईश्वरपुर गाँव में स्थित है।भारत–बांग्लादेश सीमा के निकट होने के कारण यहाँ बड़ी संख्या में भारतीय भक्त भी दर्शन के लिए आते हैं।

मंदिर का पौराणिक महत्व:  

हिंदू पुराणों के अनुसार, राजा दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर सती के देह त्याग के बाद, भगवान शिव दर्द और क्रोध में तांडव करने लगे। ब्रह्मांड की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 52 हिस्से कर दिए। किवदंतियों में वर्णित है कि यही वह स्थान है जहाँ देवी सती की हथेली (हाथ का हिस्सा) गिरी थी।

जागृत शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध:

इसी कारण यह स्थान एक जागृत शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है और भक्तों की मनोकामनाएँ यहाँ पूर्ण होती हैं। मुख्य मंदिर और परिसर यशोरेश्वरी मंदिर एक आयताकार संरचना है जिसमें एक विशाल मुख्य गर्भगृह, पूजा कक्ष एक चौड़ा बरामदा शामिल हैं। "यशोरेश्वरी" का अर्थ है “जशोर की देवी” मंदिर परिसर में स्थित पवित्र स्नान स्थल जोगेर दहो (जोगी का कुआँ) अत्यंत धार्मिक महत्व रखता है। माना जाता है कि यहाँ स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मन को पवित्रता प्राप्त होती है।

हिंदू श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख तीर्थ:

यह स्थान भारत और बांग्लादेश, दोनों देशों के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। नवरात्रि, काली पूजा और विशेष शक्ति उपासना के दौरान यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है। यशोरेश्वरी शक्तिपीठ न केवल अपना पौराणिक इतिहास लिए हुए है, बल्कि आज भी यह एक जागृत, जीवंत और शक्तिमय तीर्थ के रूप में श्रद्धालुओं के जीवन में विशेष स्थान रखता है। देवी की कृपा पाने के लिए दुनिया भर से भक्त यहाँ दर्शन करने आते हैं।


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