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गुह्येश्वरी शक्तिपीठ: काठमांडू के पवित्र तांत्रिक मंदिर का इतिहास, महत्व और दर्शन समय...

गुह्येश्वरी शक्तिपीठ: काठमांडू के पवित्र तांत्रिक मंदिर का इतिहास, महत्व और दर्शन समय...

52 Shaktipeeths 47. Guhyeshwari Shaktipeeth: नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित गुह्येश्वरी शक्तिपीठ हिंदू धर्म के 52 शक्तिपीठों में एक अत्यंत पवित्र और रहस्यपूर्ण मंदिर माना जाता है। बागमती नदी के दक्षिणी तट पर बसे इस मंदिर का स्थान प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर से लगभग एक किलोमीटर पूर्व दिशा में पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं, तांत्रिक साधना और प्राचीन वास्तुकला के कारण यह स्थल श्रद्धालुओं के बीच विशेष आस्था का केंद्र है।

सती के अंग से जुड़ी पौराणिक मान्यता:

धार्मिक कथाओं के अनुसारइसी स्थान पर देवी सती का नितंब या श्रोणि भाग (गुह्य अंग) गिरा था, यही कारण है कि इस स्थल को देवी की अत्यंत शक्तिशाली ऊर्जा का केंद्र माना जाता है।

देवी का रूप – महामाया या गुह्यकाली:

इस शक्तिपीठ में देवी की पूजा ‘महामाया’ या ‘गुह्यकाली’ स्वरूप में की जाती है। शिव यहां ‘कपाली’ नाम से प्रतिष्ठित हैं। शक्तिपीठों में यह स्थान उन चुनिंदा स्थलों में से एक है, जहाँ देवी की खड़ी प्रतिमा नहीं, बल्कि भूमि के समानांतर स्थित एक विशेष चपटी मूर्ति का पूजन किया जाता है।

तांत्रिक साधना का प्रमुख केंद्र:

गुह्येश्वरी मंदिर को तांत्रिक उपासना का अत्यंत शक्तिशाली स्थल माना जाता है। नेपाल और भारत के तांत्रिक साधक यहां विशेष अनुष्ठान करने आते हैं। गुप्त साधनाओं के कारण यह स्थल तांत्रिक विद्या का केंद्र भी कहा जाता है।

17वीं सदी की पैगोडा शैली की अनोखी वास्तुकला:

इस मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा प्रताप मल्ल ने 17वीं शताब्दी में कराया था। इसकी वास्तुकला पारंपरिक नेपाली पैगोडा शैली पर आधारित है, जो इसे अन्य शक्तिपीठों से अलग और आकर्षक बनाती है।

मंदिर में प्रवेश नियम:

पशुपतिनाथ मंदिर की तरह यहाँ भी गर्भगृह में प्रवेश केवल हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ही अनुमति प्राप्त है। विदेशी पर्यटक मुख्य आंगन और बाहरी परिसर तक ही दर्शन कर सकते हैं।मंदिर में प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं। विशेष पर्वों के दौरान समय में बदलाव संभव है।

मुख्य उत्सव:

गुह्येश्वरी शक्तिपीठ में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार नवरात्रि, दशईं (विजया दशमी) और महाशिवरात्रि सहित इन अवसरों पर मंदिर परिसर हजारों भक्तों से भर जाता है।


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