52 Shaktipeeth 52 Brajeshwari Shaktipeeth: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित नगरकोट धाम का मां ब्रजेश्वरी देवी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में भी गिना जाता है। लोकमान्यता के अनुसार, इसी पावन स्थल पर माता सती का वक्षस्थल गिरा था, जिसके कारण यह स्थान देवी उपासकों के लिए अत्यंत पूजनीय है। जनसाधारण में यह मंदिर ‘कांगड़े वाली देवी’ के नाम से प्रसिद्ध है।
पौराणिक मान्यता और शक्तिपीठ का महत्व:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के अंग अलग किए। जहां-जहां ये अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए। मान्यता है कि कांगड़ा स्थित इस स्थल पर माता का वक्षस्थल गिरा था, जिससे यह स्थान ब्रजेश्वरी शक्तिपीठ कहलाया।
मंदिर का ऐतिहासिक गौरव:
कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का प्रारंभिक उद्धार पांडवों द्वारा किया गया था। बाद में राजा सुशर्मा ने इसे पुनः स्थापित कराया। सिख साम्राज्य के शासक महाराजा रणजीत सिंह ने स्वयं यहां आकर मां ब्रजेश्वरी को स्वर्ण छत्र अर्पित किया था, जो मंदिर के गौरव का प्रतीक माना जाता है।
1905 का भूकंप और पुनर्निर्माण:
वर्ष 1905 में आए विनाशकारी भूकंप में मंदिर का अधिकांश भाग क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद पुराने स्वरूप और आधार को ध्यान में रखते हुए मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया। आज भी मंदिर अपनी भव्यता और ऐतिहासिक शिल्प सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर की स्थापत्य कला और विशेष स्थल:
कांगड़ा नगर चौक से लगभग 3 किलोमीटर दूर, पर्वतीय क्षेत्र के समीप स्थित इस मंदिर में तीन शिखर हैं। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग (Xuanzang) ने भी अपने यात्रा विवरण में नगरकोट की ब्रजेश्वरी देवी का उल्लेख किया है।मंदिर प्रांगण में प्रवेश करते ही दीवारों पर बने ताखों में ध्यानू भक्त की प्रतिमा दिखाई देती है, जिनके दोनों ओर शेर अंकित हैं। मंदिर परिसर में सूर्य देव, भैरव जी, वटवृक्ष, मां तारा देवी, शीतला माता मंदिर और दशविद्या भवन भी स्थित हैं।
भैरव जी से जुड़ी रहस्यमयी मान्यता:
मंदिर के पुजारी रामेश्वर नाथ के अनुसार, यहां विराजमान भैरव जी किसी भी अनिष्ट की पूर्व सूचना देते हैं। ऐसी मान्यता है कि संकट के समय भैरव जी की आंखों से आंसू गिरते प्रतीत होते हैं, जिसे शुभ-अशुभ संकेत माना जाता है।
मकर संक्रांति महोत्सव अनूठी परंपरा:
मां ब्रजेश्वरी देवी मंदिर का मकर संक्रांति महोत्सव विशेष आकर्षण का केंद्र होता है, जो पूरे एक सप्ताह तक चलता है। मान्यता है कि सतयुग में देवी ने राक्षसों का संहार कर महायुद्ध में विजय प्राप्त की थी। उस समय देवी-देवताओं ने माता के शरीर पर बने घावों पर घृत और मक्खन का लेपन किया था, जिससे उन्हें शीतलता मिली। इसी परंपरा के तहत हर वर्ष मकर संक्रांति के दिन माता को लगभग पांच मन देसी घी अर्पित किया जाता है। इसके साथ मक्खन, मेवे, मौसमी फल और रंग-बिरंगे फूलों से माता का भव्य श्रृंगार किया जाता है। इस महोत्सव को देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
कैसे पहुंचें मां ब्रजेश्वरी देवी मंदिर:
हिमाचल प्रदेश और आसपास के राज्यों के प्रमुख शहरों से सीधी बस सेवा उपलब्ध है, इसके अलावा पठानकोट से निकटतम रेलवे स्टेशन ट्रेन लें सकते हैं, जिससे आप सीधे नैरो गेज रेल से कांगड़ा मंदिर स्टेशन पहुंच जाएंगे.