
Pushprajgarh News : (अविनाश दुबे अनूपपुर पुष्पराजगढ़) आज हम आपको वो दिखाने जा रहे है, जो किसी ने नहीं दिखाया। 75 सालों की आजादी के बाद का भारत विकास जी हां हमारे देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र से लेकर राज्य स्तर तक कई अभियान चलाए जा रहे, आज की पीढ़ि को शिक्षत करने के लिए काफी जोर दिया जा रहा, लेकिन मध्यप्रदेश का एक गांव आज भी ऐसा है जहां शिक्षा के मंदिर जाने के लिए आज भी छात्रों को कीचड़ भरे रास्ते को बामुश्किल पार करना होता है, वो भी जूते चप्पल हाथ में लेकर।
ऐसा शिक्षा के मंदिर का रास्ता
दरअसल, अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ ब्लॉक के कोहका पूर्व पंचायत में स्थित सीएम राइस हायर सेकेंडरी स्कूल, प्राथमिक विद्यालय सहित हायर सेकेंडरी स्कूल और छात्रावासों के छात्र-छात्राएं बरसात के मौसम में जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। सबसे दर्दनाक दृश्य तब देखने को मिलता है, जब बच्चे अपने जूते चप्पल हाथ में थामे, नंगे पांव कीचड़ भरे रास्तों से स्कूल की ओर बढ़ते हैं। उनकी स्कूल ड्रेस कीचड़ से सन जाती है, चेहरे पर डर और असहायता साफ झलकती है, लेकिन विकल्प क्या है? शिक्षा की चाह उन्हें हर दिन संघर्ष करने को मजबूर कर रही है।
प्रशानिक उपेक्षा के शिकार छात्र
आपको बता दें कि यह कोई नई समस्या नहीं है। पिछले कई वर्षों से छात्र छात्राएं इस रास्ते की बदहाली को झेल रहे हैं। लेकिन बरसात के मौसम में स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि छात्रों को फिसल-फिसल कर स्कूल पहुंचना पड़ता है। कई बार वे गिर जाते हैं, चोटिल हो जाते हैं, और कई बार तो स्कूल ही नहीं जा पाते। ग्रामीणों और पालकों ने पंचायत और प्रशासन को कई बार ज्ञापन सौंपा, लेकिन परिणाम हर बार सिफर रहा। छात्रावास में रह रहे बच्चे और ज्यादा परेशान हैं। जब उन्हें कोई जरूरी सामान खरीदने बाहर जाना होता है तो यही कीचड़भरा रास्ता उनकी सबसे बड़ी मुसीबत बन जाता है। कई बार तो छात्र कीचड़ में फंसकर अपने बैग और किताबें भी गंदे कर लेते हैं। पढ़ाई में मन नहीं लग पाता, और छोटी उम्र में ही वे प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
जनप्रतिनिधियों की नाक पर कीचड़ भरा रास्ता
ध्यान देने वाली सबसे शर्मनाक बात यह है कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, सांसद और विधायक कुछ ही दूरी पर निवास करते हैं, लेकिन इस समस्याग्रस्त मार्ग को देखने और सुधारने की किसी ने जहमत नहीं उठाई। चुनावी वादे यहां कीचड़ में धंसे पड़े हैं।बच्चे पढ़ना चाहते हैं, आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन कीचड़ भरे इस रास्ते ने उनकी पढ़ाई की राह को संघर्ष में बदल दिया है। अब जरूरत है जिम्मेदारों के जागने की, ताकि भविष्य के ये सपने किसी गड्ढे में न गिरें, बल्कि पक्के रास्ते से होकर मंज़िल तक पहुंच सकें।