
क्या किसी इंसान की मौत की संभावना उसके जन्मदिन पर ज्यादा होती है? यह सवाल सुनने में भले ही अजीब या अविश्वसनीय लगे, लेकिन वैज्ञानिकों ने इस पर गंभीरता से अध्ययन किया है। उनका दावा है कि इंसान के जन्मदिन पर उसकी मृत्यु होने की संभावना बाकी दिनों की तुलना में अधिक होती है। इस रहस्यमयी प्रभाव को वैज्ञानिकों ने ‘बर्थडे इफेक्ट’ नाम दिया है।
क्या है ‘बर्थडे इफेक्ट’?
वैज्ञानिकों का मानना है कि जन्मदिन एक भावनात्मक और मानसिक रूप से विशेष दिन होता है। इस दिन लोग जश्न मनाते हैं, अधिक शराब पीते हैं और कई बार जोखिम भरे फैसले लेते हैं, जिससे दुर्घटनाएं या स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं। यही वजह है कि कुछ मामलों में यह दिन जानलेवा भी बन जाता है।
क्यों बढ़ता है खतरा?
अत्यधिक शराब सेवन: जन्मदिन के मौके पर कई लोग पार्टी में हद से ज्यादा शराब पी लेते हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाओं जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं।
मानसिक तनाव: कुछ लोग उम्र बढ़ने, अकेलेपन या जीवन के उद्देश्यों को लेकर तनाव महसूस करते हैं। इससे ‘बर्थडे ब्लूज़’ यानी जन्मदिन की उदासी भी सामने आती है, जो मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
बीमार व्यक्तियों के लिए भावनात्मक लक्ष्य: कुछ गंभीर रूप से बीमार लोग अपने जन्मदिन तक जीने की उम्मीद बनाए रखते हैं। जैसे ही यह दिन बीतता है, वे मानसिक रूप से टूट जाते हैं, जिससे उनके जीवन का अंत निकट आ सकता है।
वैज्ञानिक अध्ययन क्या कहते हैं?
जापान (2016): जन्मदिन पर आत्महत्या की संभावना 50% अधिक पाई गई।
अमेरिका (2015): जन्मदिन पर मरने का खतरा 6.7% अधिक था।
स्विट्ज़रलैंड (2012): 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में जन्मदिन पर मृत्यु की संभावना 13.8% ज्यादा पाई गई।
क्या रिकॉर्ड में गड़बड़ी भी कारण हो सकती है?
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि मृत्यु के रिकॉर्ड में कभी-कभी गलती से मृत्यु तिथि को जन्मतिथि के रूप में दर्ज कर लिया जाता है। लेकिन स्वास्थ्य लेखिका होली मैकहह्यू कहती हैं कि ऐसी गलतियाँ बहुत कम होती हैं और आंकड़ों को गंभीर रूप से प्रभावित नहीं करतीं।
सावधानी है जरूरी:
विशेषज्ञों का सुझाव है कि जन्मदिन जैसे भावनात्मक दिनों को संयम और आत्म-जागरूकता के साथ मनाया जाना चाहिए:
अत्यधिक शराब सेवन से बचें।
अगर आप मानसिक रूप से असहज महसूस कर रहे हैं, तो परिवार या दोस्तों से बात करें।
जरूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लें।