अब तक आपने आम लोगों को आर्थिक तंगी के कारण अपनी कार या बाइक बेचते हुए जरूर देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा था कि एक दिन दुनिया की सबसे अमीर स्पेस एजेंसी नासा को भी अपने सैटेलाइट्स बेचने पड़ेंगे?
दरअसल, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की जेट प्रोपल्शन लैब (JPL) कुछ सैटेलाइट्स की बिक्री की योजना बना रही है। इसे “बिजनेस सेल” नाम दिया गया है। यह कदम उस समय उठाया जा रहा है जब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन नासा के फंड में भारी कटौती करने की योजना बना रहा है। इस कटौती का असर केवल अंतरग्रहीय मिशनों पर ही नहीं, बल्कि पृथ्वी से संबंधित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर भी पड़ेगा।
सैटेलाइट्स का महत्व
सैटेलाइट्स का काम केवल अंतरिक्ष में घूमना नहीं होता। ये पृथ्वी के पर्यावरण, जलवायु और मौसम पर नजर रखते हैं और समय रहते तूफानों और बड़े बदलावों की चेतावनी भी देते हैं। लेकिन ट्रंप प्रशासन अक्सर जलवायु परिवर्तन को खारिज करता रहा है, और वैज्ञानिकों का मानना है कि यही रवैया कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक मिशनों के रुकने की वजह बन रहा है।
कौन-कौन से सैटेलाइट बिकने वाले हैं?
बिक्री के लिए पृथ्वी-निगरानी करने वाले कई सैटेलाइट्स सूची में हैं। कुछ सैटेलाइट्स ऐसे भी हैं जिनका प्रक्षेपण अभी हुआ ही नहीं है। इन सभी सैटेलाइट्स ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण किया है। इस बिक्री का मकसद है—दूसरे प्रोजेक्ट्स के लिए फंड जुटाना।
वैज्ञानिकों के बीच नाराजगी और व्यंग्य
नासा के कुछ वैज्ञानिक और इंजीनियर इस हालात को लेकर नाराज और व्यंग्यात्मक हो गए हैं। JPL के सीनियर इंजीनियर लुइस अमारो ने लिंक्डइन पर लिखा: “हमें इन दिनों JPL में मजाकिया मूड बनाए रखना पड़ रहा है।” वहीं, नासा के आर्टेमिस IV मिशन के इंटीग्रेशन हेड यूसुफ जॉनसन, जो बजट कटौती से सीधे प्रभावित हैं, उन्होंने ट्रंप समर्थकों की आलोचना करते हुए कहा: “सांप का तेल अब भी बिकता है।”
कितनी बड़ी है बजट कटौती?
रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप प्रशासन नासा के विज्ञान निदेशालय के बजट में 50% से अधिक कटौती की योजना बना रहा है। इस कारण कई महत्वपूर्ण मिशन संकट में हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अब यह विचार किया जा रहा है कि कुछ सैटेलाइट्स को सरकारी या निजी क्षेत्र के खरीदारों को बेचा जाए, ताकि फंड की कमी को किसी तरह पूरा किया जा सके।