श्रीशैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ: सिलहट का पवित्र धाम जहाँ गिरा था माँ सती का गला, जानिए इसका पौराणिक महत्त्व...

52 Shaktipeeths 44 Shrishail Mahalaxmi Shaktipeeth: भारत और पड़ोसी देशों में फैले 52 शक्तिपीठों में से एक अत्यंत पवित्र स्थल श्रीशैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ बांग्लादेश के सिलहट क्षेत्र में स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहीं देवी सती का गला पृथ्वी पर गिरा था, जिसके कारण इस स्थान की महिमा अत्यधिक मानी जाती है।

कहाँ स्थित है श्रीशैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ:

यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के सिलहट ज़िले में स्थित है। प्रशासनिक दृष्टि से यह स्थान चटगाँव पहाड़ी इलाकों (Chittagong Hill Tracts) के रंगमती क्षेत्र से भी जुड़ा हुआ माना जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य, पहाड़ी वातावरण और आध्यात्मिक शांति इस जगह को बेहद विशेष बनाते हैं।

मंदिर की विशेषताएँ:

इस शक्तिपीठ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर के गर्भगृह पर कोई छत नहीं है। मान्यता है कि देवी ने स्वयं स्वप्न में आदेश दिया था कि यह स्थान हमेशा खुले आकाश के नीचे रहे। यहाँ देवी को ‘महालक्ष्मी भैरवी’ के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का विश्वास है कि यहाँ की शक्ति अत्यंत जागृत और कल्याणकारी है।

शक्तिपीठ का धार्मिक महत्त्व:

देवी सती के अंगों के गिरने से बने शक्तिपीठों में यह स्थल गहन आस्था का केंद्र है। यहाँ की दिव्य ऊर्जा और शांत वातावरण भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

मंदिर पहुंचने का सड़क मार्ग:

ढाका से श्रीशैल  महालक्ष्मी शक्तिपीठ तक पहुँचने में लगभग 8–10 घंटे का समय लगता है। सड़क मार्ग सुंदर पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरता है। हवाई मार्ग पहले ढाका से चटगाँव की घरेलू उड़ान लें। इसके बाद सड़क मार्ग से रंगमती होते हुए मंदिर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। श्रीशैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि प्रकृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम भी है। यदि आप शक्तिपीठों की यात्रा पर हैं, तो सिलहट का यह पवित्र धाम अवश्य शामिल करें।

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