
शुचिन्द्रम शक्तिपीठ: तमिलनाडु में स्थित माँ नारायणी का पावन धाम, जानिए महत्व, कथा और विशेषताएं...
52 Shaktipeeths 34 Suchindram Shaktipeeth: तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में स्थित शुचिन्द्रम शक्तिपीठ माँ नारायणी का एक प्रसिद्ध और अत्यंत पवित्र शक्तिस्थल है। इसे सुचि शक्तिपीठ और नारायणी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान उन 51 शक्तिपीठों में शामिल है, जहाँ देवी सती के अंग गिरने के कारण ये स्थल शक्ति उपासना के प्रमुख केंद्र बने।
देवी सती की पौराणिक कथा:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होने के बाद देवी सती ने योगाग्नि में अपने प्राण त्याग दिए। दुःख से व्याकुल भगवान शिव जब उनके शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के अंग पृथ्वी पर गिराए। इन्हीं पावन स्थलों को शक्तिपीठ कहा जाता है। सुचिन्द्रम वह स्थान है जहाँ देवी सती का ऊपरी दाँत गिरा था, इसलिए यहाँ देवी को माँ नारायणी के रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव को संहार या स्थाणु रूप में आराध्य माना जाता है।
थाणुमलयन मंदिर की अद्भुत आभा:
शुचिन्द्रम शक्तिपीठ प्रसिद्ध थाणुमलयन मंदिर परिसर के भीतर स्थित है। यह मंदिर अपनी अनूठी विशेषता के लिए जाना जाता है, यहाँ त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) की संयुक्त पूजा होती है। मंदिर की वास्तुकला अत्यंत भव्य है, जिसमें विशाल गोपुरम, खूबसूरत शिलालेख, और प्राचीन तालाब इसकी दिव्यता को और बढ़ाते हैं।
माँ नारायणी और भगवान संहार के रूप में आराधना:
इस शक्तिपीठ में भक्त माँ नारायणी जो भगवान नारायण की पत्नी स्वरूप मानी जाती हैं की आराधना करते हैं। यहाँ शिव का स्वरूप संहार, संग्हारोर संहार या स्थाणु नाम से पूज्य है।
ड्रेस कोड और दर्शन नियम:
कन्याकुमारी क्षेत्र के कई मंदिरों की तरह इस मंदिर में भी विशेष ड्रेस कोड का पालन किया जाता है। पुरुषों को ऊपरी वस्त्र (जैसे शर्ट) उतारकर ही मंदिर में प्रवेश करना होता है। पवित्र जल में डुबकी लगाना और फिर दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
नवरात्रि और विशेष उत्सव:
आश्विन नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा, आरती, भजन-कीर्तन और अद्भुत उत्सव होते हैं। इस समय हजारों भक्त देवी माँ के दर्शन के लिए यहाँ पहुँचते हैं। शुचिन्द्रम शक्तिपीठ केवल एक धार्मिक तीर्थ ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, शक्ति उपासना और पौराणिक परंपरा का एक चमकदार प्रतीक है। माँ नारायणी के इस पावन धाम में आकर भक्त आध्यात्मिक शांति और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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