
कोल्लेमकोड भद्रकाली शक्तिपीठ: तमिलनाडु का पौराणिक धाम और भक्ति का अद्वितीय केंद्र...
52 Shaktipeeths 32 Kollemkode Bhadrakali Shaktipeeth: तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में स्थित कोल्लेमकोड भद्रकाली मंदिर भक्तों के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। यह पवित्र स्थल “श्री भद्रकाली देवासोम मंदिर” के नाम से भी प्रसिद्ध है, जहां देवी भद्रकाली के शक्तिरूप की पूजा की जाती है। मंदिर की ऐतिहासिकता और आध्यात्मिक महत्व इसे दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में स्थान दिलाता है।
भद्रकाली पूजा की समृद्ध परंपरा:
तमिलनाडु में भद्रकाली पूजा का व्यापक प्रभाव दिखाई देता है। राज्य के कई भाग शिवकाशी, तंजावुर, और आसपास के क्षेत्र में भी भद्रकाली के प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं। इनमें विशेष रूप से श्री निसुम्बासुथानी वडाभद्रकाली अम्मन कोविल, तंजावुर अत्यंत प्रतिष्ठित माना जाता है, जहाँ भक्त बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
क्या यह 52 शक्तिपीठों में शामिल है?
यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कोल्लेमकोड भद्रकाली मंदिर को आधिकारिक 52 शक्तिपीठों में शामिल नहीं किया गया है। भारत के 52 शक्तिपीठों में हरियाणा के कुरुक्षेत्र स्थित ‘श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर’ को मान्यता प्राप्त है, जहाँ मान्यता के अनुसार माँ सती का टखना (दायाँ गुल्फ) गिरा था। इसी कारण इसे प्राचीन शक्ति परंपरा में विशेष महत्व मिलता है।इसके विपरीत, तमिलनाडु के भद्रकाली मंदिर क्षेत्रीय और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं, और भक्तिपूर्ण परंपराओं के कारण ये दक्षिण भारतीय संस्कृति का हिस्सा बने हुए हैं।
कोल्लेमकोड भद्रकाली मंदिर का इतिहास:
कन्याकुमारी जिले के मध्य में स्थित यह मंदिर प्राचीन स्थापत्य शैली, समृद्ध धार्मिक अनुष्ठानों, और देवी शक्ति की उपासना के लिए जाना जाता है। यहाँ हर वर्ष विशेष त्योहारों और पूजा-अनुष्ठानों का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। हालांकि कोल्लेमकोड भद्रकाली मंदिर 52 शक्तिपीठों में सूचीबद्ध नहीं है, लेकिन इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा, सांस्कृतिक परंपरा और देवी भद्रकाली की दिव्यता इसे तमिलनाडु का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बनाती है। भक्ति, इतिहास और विरासत तीनों का सुंदर सम्मिश्रण इस मंदिर को अद्वितीय पहचान प्रदान करता है।
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