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10-Minute Delivery के दबाव में Zomato–Blinkit राइडर्स की जान जोखिम में? Raghav Chadha ने संसद में उठाया मुद्दा

10-Minute Delivery के दबाव में Zomato–Blinkit राइडर्स की जान जोखिम में? Raghav Chadha ने संसद में उठाया मुद्दा

5 दिसंबर 2025 को सांसद राघव चड्ढा ने फूड और क्विक-कॉमर्स कंपनियों के 10-मिनट डिलीवरी मॉडल पर गंभीर सवाल उठाते हुए गिग वर्कर्स की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की।

उन्होंने कहा कि Zomato, Swiggy, Blinkit, Zepto जैसी कंपनियों में काम करने वाले राइडर्स “Indian Economy के Invisible Wheels” हैं—लाखों लोगों तक सुविधा पहुँचाने के लिए हर मौसम में मेहनत करते हैं, लेकिन उनकी पीड़ा और खतरे को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

राघव चड्ढा ने तीन बड़े मुद्दों को उजागर किया—

1. सुरक्षा का संकट:

10-मिनट डिलीवरी का दबाव इतना ज़्यादा है कि राइडर्स को रेड लाइट क्रॉस करने, तेज़ गति से चलने और हर ऑर्डर को किसी भी हाल में समय पर पूरा करने के लिए मजबूर किया जाता है। देर होने पर उनकी रेटिंग गिर जाती है, इंसेंटिव कट जाते हैं और कई बार ID ब्लॉक तक कर दी जाती है।

2. खराब कार्य परिस्थितियाँ:

राइडर्स 12–14 घंटे तक धूप, बारिश, ठंड और प्रदूषण में बिना सुरक्षा किट के काम करते हैं। उनके पास न उचित हेल्थ कवरेज है और न ही स्थायी नौकरी की सुरक्षा।

3. आर्थिक और मानवीय असुरक्षा:

गिग वर्कर्स स्थायी कर्मचारी नहीं होते, इसलिए दुर्घटना, बीमारी या बेरोज़गारी की स्थिति में उन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा या आर्थिक मदद नहीं मिलती।

चड्ढा ने पूछा—क्या ग्राहकों की सुविधा के लिए किसी इंसान की जिंदगी, सुरक्षा और सम्मान को खतरे में डाला जा सकता है?
उन्होंने सरकार से मांग की कि तेज़ डिलीवरी मॉडल की समीक्षा की जाए और गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा व बेहतर कार्य परिस्थितियाँ सुनिश्चित की जाएँ।


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