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वंदे मातरम पर लोकसभा में घमासान: प्रियंका गांधी बोलीं—यह बहस जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश

वंदे मातरम पर लोकसभा में घमासान: प्रियंका गांधी बोलीं—यह बहस जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश

लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को “वंदे मातरम” की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा रखी गई, लेकिन यह चर्चा राजनीतिक टकराव में बदल गई। कांग्रेस की नव-निर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह बहस अचानक इसलिए कराई गई है क्योंकि कुछ ही महीनों में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

प्रियंका ने तंज किया कि देश को आज़ाद हुए 75 साल से ज्यादा हो चुके हैं, फिर अचानक आज “वंदे मातरम” पर बहस की क्या जरूरत पड़ गई? उनके अनुसार इसके पीछे दो राजनीतिक मकसद हैं—पहला, बंगाल में चुनावी लाभ कमाना और दूसरा, जनता को बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक संकट जैसे असली मुद्दों से दूर करना।

"PM के भाषण में कला है, तथ्यों में नहीं" — प्रियंका का सीधा वार

प्रियंका गांधी ने लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा—
“प्रधानमंत्री भाषण देने में बेहद कुशल हैं, लेकिन जब बात तथ्यों पर आती है तो वे कमजोर पड़ जाते हैं। मैं कलाकार नहीं, जनता की प्रतिनिधि हूं।”

उन्होंने कहा कि “वंदे मातरम” कोई आम गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। यह गीत वह चिंगारी है जिसने करोड़ों भारतीयों को आज़ादी की लड़ाई के लिए प्रेरित किया। इस पर बहस कराना ही इसके सम्मान को ठेस पहुंचाना है।

“आप चुनाव के लिए हैं, हम देश के लिए”—प्रियंका का संसद में संदेश

प्रियंका गांधी ने भाजपा पर सीधा हमला बोलते हुए कहा—
“आप लोग सिर्फ चुनाव जीतने के लिए राजनीति करते हैं, जबकि हम देश और उसके संविधान के लिए लड़ते हैं। हम चाहे कितने भी चुनाव हार जाएं, इस सदन में आपकी विचारधारा का मुकाबला करते रहेंगे।”

उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री में पुराना आत्मविश्वास नहीं दिखता। देश की नीतियां कमजोर हो रही हैं, जनता परेशान है और सत्तापक्ष के सदस्य चुप हैं क्योंकि उन्हें अंदर से शर्म महसूस होती है।

भगवानों से बड़ा समझने लगे हैं खुद को — प्रियंका का आरोप

प्रियंका गांधी ने कहा कि भाजपा सांसदों में इतना घमंड आ चुका है कि वे खुद को गांधी, टैगोर, पटेल और अंबेडकर जैसे महान नेताओं से भी बड़ा समझने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा यह कहना कि “राष्ट्रगीत को विभाजनकारी सोच ने काटा था”, यह उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।


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