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Religion : मंदिरों को मिलने वाली चंदा की रकम इतनी ज्यादा की देश की टेंपल इकोनॉमी घरेलू डिफेंस बजट से कुछ ही कम

Religion : मंदिरों को मिलने वाली चंदा की रकम इतनी ज्यादा की देश की टेंपल इकोनॉमी घरेलू डिफेंस बजट से कुछ ही कम

INDIA ; केंद्र सरकार ने देश में कोविड वैक्सिनेशन के लिए 5000 करोड़ रुपए दिए। इससे ज्यादा रकम राममंदिर निर्माण के लिए अब तक चंदे में मिली है। राममंदिर निर्माण के लिए राममंदिर ट्रस्ट को मिले चंदे की बात करें तो यह अब तक 5,500 करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है। इतना ही नहीं, यह देश के डिफेंस बजट (करीब 5,25,166 करोड़ रुपए) के 1 फीसदी से ज्यादा है। और तो और सरकारी स्कूलों में चलने वाली मिड डे मीलयोजना का पूरे साल का जितना बजट केंद्र सरकार की तरफ से इस बार बना है, यह रकम उसकी आधी है। आम बजट 2022-23 में स्कूलों में चलाए जाने वाले मिड डे मिलकार्यक्रम में केंद्र सरकार ने 10,234 करोड़ रुपये दिए हैं। इसका करीब ढाई गुना यानी करीब 24 हजार करोड़ रुपए तो देश के महज छह बड़े मंदिरों को सालाना चंदा मिल जाता है।

हमारे देश के बारे में कहा जाता है कि हम गोल्ड प्रेमीहैं। ये सिर्फ कहने भर की बात नहीं है, गोल्ड जूलरी के इस्तेमाल में हम पूरी दुनिया में सबसे आगे हैं। हम तो सोना पहनते, सहेजते और रखते हैं लेकिन हमारे भगवान को भी सोना बेहद पसंद है। तभी तो देश के कुल स्वर्ण भंडार का छठा हिस्सा मंदिरों में है।

मंदिरों के फंड की बात सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुची

धार्मिक चंदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय और कई धार्मिक संगठनों ने करीब 15 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म से जुड़े पूजा स्थलों के फंड पर सरकारी कंट्रोल है, जबकि मस्जिद, मजार और चर्च सहित दूसरे धार्मिक स्थलों पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है।

सरकार का देश के 9 लाख मंदिरों में से 4 लाख मंदिरों पर नियंत्रण है। जबकि चर्च, मस्जिद, मजार और अन्य धार्मिक स्थलों पर कोई नियंत्रण नहीं है। याचिका में मांग है कि सभी धर्मों के लिए समान धार्मिक संहिता बननी चाहिए। अब सीजेआई यूयू ललित के नेतृत्व वाली बेंच इन याचिकाओं पर 19 सितंबर यानी सोमवार को सुनवाई करेगी।

 

 

 


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