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भारत को चाहिए भगवान राम जैसा शासक : स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी

भारत को चाहिए भगवान राम जैसा शासक : स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में एक निजी होटल के सभागार में युवा चेतना नामक संस्था ने 'भारत, संविधान और युवा' विषय पर सेमिनार का आयोजन किया। सेमिनार का उद्घाटन स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी, भारत के लोकपाल जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष, युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह, आईआईटी भिलाई के निदेशक डा. रजत मूना, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी एवं उद्यमी मनोज गोयल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सेमिनार का उद्घाटन करते हुए स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा कि संविधान के अनुसार ही देश चलता है। भारतवासी संविधान के अनुसार ही काम करते हैं। स्वामी ने कहा कि युवा चेतना लगातार देश भर में गरीबों को मुख्यधारा से जोड़ने पर काम कर रही है।

स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा कि भारत को भगवान राम जैसा शासक चाहिए। मुख्य अतिथि भारत के लोकपाल जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने कहा कि देश में सर्वोच्च संविधान है। न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि भारत के आम आदमी के लिए संविधान वरदान है। युवा चेतना अच्छा काम कर रही है। शिक्षा को हर घर तक पहुँचाना होगा, देश में अच्छे हास्पिटल का निर्माण कराना होगा।

न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में काम करना होगा। इस वक्त पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। और हम किसी से कम नहीं हैं।
सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह ने कहा की धर्म आस्था का विषय है परंतु संविधान व्यवस्था का मार्ग बताता है। श्री सिंह ने कहा की भारत संविधान से चलने वाला देश है। देश में राष्ट्रपति के घर का बच्चा हो या गरीब का बच्चा सबके अधिकार बराबर हैं और यह संविधान के कारण है।

भारत के लोकतंत्र को जीवंत रखने का काम संविधान करता है। श्री सिंह ने कहा कि युवा चेतना समाज के अंतिम व्यक्ति को मुख्यधारा से जोड़ने हेतु अलख लेकर चल रही है। भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए आम युवाओं को एकजुट होना होगा। मुख्य वक्ता उद्यमी मनोज गोयल ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब विवाह के क़ानून सामान हों और इसके लिए संविधान में परिवर्तन हों। श्री गोयल ने कहा की संविधान की जानकारी सूक्ष्म रूप से हर स्तर पर हो जिससे आम जनता को जानकारी मिल सके।

भारत का संविधान एकरूपता सिखाता है, इसलिए धर्म से अधिक संविधान का सम्मान होना चाहिए। विशेष अतिथि अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविधालय के कुलपति प्रो. अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने कहा कि भारत की तरक़्क़ी का रास्ता संविधान के बल पर ही निकलेगा। प्रो. वाजपेयी ने कहा कि युवा शक्ति के श्रम के बल पर भारत अपनी खाई हुई प्रतिष्ठा को प्राप्त कर सकता है। विशेष अतिथि आईआईटी भिलाई के निदेशक डा. रजत मूना ने कहा कि देश में रहना है तो संविधान को मानना पड़ेगा। डा. मूना ने कहा की युवा चेतना सराहनीय काम कर रही है। युवा वर्ग को आगे बढ़कर देश के लिए काम करना चाहिए। आज भारत के लोग पूरी दुनिया में नेतृत्व कर रहे हैं यह गर्व का विषय है। सेमिनार में बृजलाल गोयल, डा. सत्येंद्र सेंगर, डा. अनिल गुप्ता, सुनील अग्रवाल, सुरेश गोयल, कौशल्या गोयल, रिंकु गोयल, रवि गर्ग, हेमंत धनगर आदि उपस्थित रहे।

 


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