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भारतीयों की बचत आदतें और निवेश की गलती: पढ़िए कैसे व्यवहारिक पूर्वाग्रह बिगाड़ देते हैं आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग

भारतीयों की बचत आदतें और निवेश की गलती: पढ़िए कैसे व्यवहारिक पूर्वाग्रह बिगाड़ देते हैं आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग

इंदौर: भारत को हमेशा से एक बचतप्रिय समाज के रूप में जाना जाता है। यहां लोग वर्तमान के उपभोग की बजाय भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए धन बचाना पसंद करते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि हमारी अधिकांश संपत्ति अब भी कम रिटर्न देने वाले साधनों—जैसे बचत खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट और सोना—में फंसी रहती है। परिणामस्वरूप, सेवानिवृत्ति, स्वास्थ्य बीमा या आपातकालीन जरूरतों के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं बन पाती।

असली कारण: ज्ञान की नहीं, सोच की कमी

अक्सर यह कहा जाता है कि वित्तीय गलतियों का कारण जानकारी या शिक्षा की कमी है। लेकिन सच्चाई इससे गहरी है—समस्या हमारे सोचने और निर्णय लेने के तरीकों में है। हमारे कई वित्तीय निर्णय व्यवहारिक पूर्वाग्रहों (Behavioural Biases) से प्रभावित होते हैं, जो हमें अनजाने में गलत दिशा में ले जाते हैं।

आम व्यवहारिक पूर्वाग्रह जो बिगाड़ते हैं आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग

परिचय (Familiarity Bias)

लोग वही चुनते हैं जो उन्हें पहले से परिचित हो—चाहे वह लाभदायक न हो।
पुरानी बीमा पॉलिसी या फिक्स्ड डिपॉजिट को इसलिए जारी रखते हैं क्योंकि बदलाव से असहजता होती है।
इसका नतीजा यह होता है कि निवेश का पोर्टफोलियो स्थिर रहता है और महंगाई की रफ्तार के साथ नहीं बढ़ पाता।

अति-आत्मविश्वास (Overconfidence)

कई निवेशक सोचते हैं कि वे बाजार को मात दे सकते हैं।
यह झूठा आत्मविश्वास उन्हें भावनात्मक फैसले लेने और बार-बार ट्रेडिंग करने की ओर धकेलता है, जिससे जोखिम और नुकसान दोनों बढ़ जाते हैं।

हानि से डर (Loss Aversion)

₹100 के नुकसान का दुख, ₹100 के लाभ की खुशी से कहीं ज्यादा गहरा होता है।
इस वजह से निवेशक बाजार की गिरावट के समय घबराकर अपने शेयर बेच देते हैं और दीर्घकालिक मुनाफे के अवसर खो बैठते हैं।

समाधान: व्यवहार में बदलाव ही असली वित्तीय सुधार

अपनी प्रवृत्तियों को पहचानें और स्वीकार करें – यही सुधार की पहली सीढ़ी है।
 बचत को स्वचालित करें – SIP या ऑटो-ट्रांसफर सेट करें ताकि निवेश खर्च से पहले हो।
खर्च पर सजग रहें – हर खरीद से पहले कुछ पल रुकें, यह अनावश्यक खर्च को रोकता है।
संतुलित निवेश करें – इक्विटी, ऋण और सोने में विविधता लाकर जोखिम घटाएं।
विशेषज्ञ सलाह लें – प्रोफेशनल एडवाइज़र से संरचित और निष्पक्ष निर्णय लें।
हर साल समीक्षा करें – देखें कि पोर्टफोलियो आपके लक्ष्यों के अनुरूप है या नहीं।

अच्छी वित्तीय योजना केवल संख्याओं या निवेश विकल्पों को समझने की बात नहीं है, बल्कि अपने व्यवहार और भावनाओं पर नियंत्रण रखने की कला है।
आज जब UPI और डिजिटल निवेश ने वित्त को पहले से कहीं आसान बना दिया है, तो आत्म-संयम और आत्म-जागरूकता ही हमारी सबसे बड़ी वित्तीय शक्ति हैं।

✍️प्रो. कीर्ति सक्सेना, प्राध्यापक, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) इंदौर


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