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Satna Lok Sabha Seat : सतना में नारायण ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय, गणेश-सिद्धार्थ हो रहे आगे-पीछे

Satna Lok Sabha Seat : सतना में नारायण ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय, गणेश-सिद्धार्थ हो रहे आगे-पीछे

भोपाल। दूसरे चरण में जिन 6 लोकसभा सीटों के लिए मतदान होने वालो है, उनमें सबसे रोचक मुकाबला विंध्य अंचल की सतना लोकसभा सीट में देखने को मिल रहा है। पहले यहां भाजपा के गणेश सिंह और कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा के बीच ही टक्कर लग रही थी, लेकिन अब बसपा के नारायण त्रिपाठी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाते दिख रहे हैं। ब्राह्मणों का बड़ा तबका नारायण के पक्ष में लामबंद होता दिख रहा है। 


इसके साथ दलित मतदाताओं का झुकाव भी बसपा की ओर देखने को मिलने लगा है। गणेश और सिद्धार्थ पिछड़े वर्ग से हैं। इनके समाजों के लगभग डेढ़-डेढ़ लाख वोट क्षेत्र में हैं, इसलिए भाजपा-कांग्रेस के बीच पिछड़े वर्ग के मतदाताओं का बंटवारा तय है। लोगों से बातचीत करने पर पता चलता है कि हार-जीत भाजपा-कांग्रेस के बीच ही होगी, बसपा वोट जरूर काफी हासिल कर सकती है। इससे हार-जीत के समीकरण बन और बिगड़ सकते हैं।

गणेश के समर्थन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने संभाला मोर्चा

सतना विधानसभा चुनाव में पराजय से साफ है कि भाजपा के गणेश सिंह से लोग प्रसन्न नहीं हैं। हालांकि गणेश सिंह के समर्थन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोर्चा संभाल लिया है। मोदी लहर का भराेसा साथ है ही, लेकिन लोगों की नाराजगी को काबू में करना बड़ी चुनौती है। हर बार गणेश को ही प्रत्याशी बनाने से भाजपा के अंदर नाराजगी है। कांग्रेस के सिद्धार्थ लगातार चौथा चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा के दो चुनाव वे जीत चुके हैं। बार-बार उन्हें मौका देने से कांग्रेस में नाराजगी भी है। कांग्रेस के नेताओं ने बड़ी तादाद में पार्टी छोड़कर भाजपा ज्वाॅइन की है। इसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। बसपा के नारायण दलबदल में अव्वल हैं। भाजपा, कांग्रेस, सपा में रहने के बाद वे अपनी पार्टी भी बना चुके हैं। अब बसपा से मैदान में हैं। इसकी वजह से लोग उन पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं। 

भाजपा, कांग्रेस, बसपा के प्रत्याशी महाबली

सतना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले तीनों प्रत्याशी भाजपा के गणेश सिंह, कांग्रेेस के सिद्धार्थ कुशवाहा और बसपा से नारायण त्रिपाठी महाबली माने जाते हैं। सिद्धार्थ विधानसभा चुनाव में गणेश को पराजित कर चुके हैं। अब दोनों लोकसभा चुनाव में भी आमने-सामने हैं। बसपा में हाल में शामिल पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी भी कम नहीं हैं। यह चुनाव 1996 में हुए लोकसभा चुनाव की याद दिलाता है। तब प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा भाजपा से और अर्जुन सिंह तिवारी कांग्रेस से मैदान में थे। बसपा ने सुखलाल कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया था। तब भी हर रोज समीकरण बन बिगड़ रहे थे। चुनाव यादगार इसलिए हो गया था, क्योंकि सुखलाल दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों अर्जुन सिंह और वीरेंद्र कुमार सकलेचा को हरा कर बाजी मार ले गए थे। सतना में एक बार फिर इसी तरह के मुकाबले के आसार हैं। कांग्रेस के सिद्धार्थ 1996 में अर्जुन सिंह और वीरेंद्र कुमार सकलेचा को हराने वाले सुखलाल कुशवाहा के ही बेटे हैं।  वे विधानसभा चुनाव में सांसद गणेश सिंह को हरा चुके हैं। बसपा के नारायण मैहर से 4 बार विधायक रह चुके हैं। 


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