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MP Election : प्रत्याशी जीत तय करने बढ़ा रहे मेलजोल पर मतदाता का रुख अभी समझ से दूर

MP Election : प्रत्याशी जीत तय करने बढ़ा रहे मेलजोल पर मतदाता का रुख अभी समझ से दूर

भोपाल। राजधानी में इन दिनों लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चाएं जारी हैं। हर गली मोहल्ले में जारी चर्चाओं का रुख प्रत्याशियों के प्रचार के बाद भले ही बदला हुआ दिख रहा हो, लेकिन असल में वोटर का सही रुख किसी के भी समझ में नहीं आ रहा है। लोगों के बीच जिस राजनैतिक पार्टी का जो प्रत्याशी पहुंचता है, लोग उसे वोट देने की बात तो कह देते हैं, लेकिन हकीकत में बटन किस पार्टी का दबाया जाएगा, यह अभी तय नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसी ही एक चर्चा में शहर के अशोका गार्डन क्षेत्र स्थित सेठी कॉलोनी में शुक्ला कॉफी एंड टी स्टॉल हाउस पर चुनावी चर्चाओं का दौर चला। यहां चाय की चुस्कियों के साथ जय केसरवानी, प्रकाश सोनी, मनीष मीना आदि का कहना है कि हर पार्टी का उम्मीदवार अपनी जीत के लिए लोगों से संपर्क कर मेलजोल बढ़ा रहे हैं। 

अपने स्तर पर प्रचार कर रहा है, लेकिन वोटर का रुख अभी समझ से दूर है। भले ही लोग सभी आने वाले या मिलने वाले को जिताने की बात कह रहे हों, लेकिन इसका फैसला वोटर ईवीएम पर पहुंच कर ही करने वाला लगता है। बीते कई दिनों से प्रमुख राजनैतिक पार्टियां भाजपा, कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के लोग भी अब जनता में मिलते उठते बैठते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन नतीजा किसके पक्ष में आएगा, यह वोटर ही तय करेगा।  

17 बार के चुनाव में से 2019 में चुनी गई सबसे अधिक 78 महिला सांसद

भारतीय राजनीति में आधी आबादी अर्थात महिलाओं का सितारा बुलंदी पर है। लोकसभा निर्वाचन से लेकर ग्राम पंचायत, नगर परिषद के चुनाव में भी महिलाएं अब बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगी हैं। सरकारी नौकरियों से लेकर निजी मल्टी नेशनल कम्पनियों में महिलाएं की संख्या तेजी से बढ़ी है। अनेक मल्टी नेशनल कम्पनी की प्रमुख अब महिलाएं ही है। देश ने महिला राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तथा लोकसभा स्पीकर भी देखे हैं, जिनका कार्यकाल बेहद सफलता भरा रहा है। वहीं लोकसभा में महिला सांसदों के प्रतिनिधित्व की तो पहली लोकसभा 1952 से लेकर 17वीं लोकसभा साल 2019 तक तो हम पायेंगे कि महिला सांसदों की संख्या एक-दो लोकसभा चुनाव को छोड़कर क्रमशः बढ़ती ही गई है।

 लेकिन फिर भी औसतन 6.9 फीसदी महिलाएं ही लोकसभा पहुँच पाती हैं। वर्ष 1952 के पहले आम चुनाव के बाद अब तक सबसे अधिक 78 महिलाएं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनकर लोकसभा पहुंची हैं। जबकि 724 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। इस प्रकार उनकी जीत का प्रतिशत 10.77 तथा सदन में महिला सांसदों का प्रतिशत 14.36 रहा, जो पिछले 70 साल में सर्वाधिक है। इस प्रकार वर्ष 2019 के आम निर्वाचन में चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या भी सर्वाधिक रही है। महिला सांसदों का सबसे कम प्रतिनिधित्व वर्ष 1977 में छठवीं लोकसभा में 19 रहा है। तब 3.5 % महिलाएं ही लोकसभा पहुंच पाई थी।

 तब विपक्षी दलों के गठबंधन की जनता पार्टी की सरकार बनी थी। पहला आम चुनाव सन 1952 में हुआ था। इस चुनाव में 43 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरी थीं, जिनमें से 22 अर्थात 51.16% महिलाओं ने जीत का परचम लहराया था। तब संसद में उनकी भागीदारी 4.50% रही थी। 11वीं लोकसभा के लिए साल 1996 में हुए निर्वाचन में महिला सांसदों के जीत का प्रतिशत 6.68 सबसे कम कहा जा सकता है। इस आम चुनाव में 599 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था, जिनमें से सिर्फ 40 ने चुनाव जीता। 

हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने हर लाभार्थी से संपर्क करें: जामवाल

 भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने खरगोन जिले के बड़वाह और बुरहानपुर जिले की बुरहानपुर विधानसभा की प्रबंधन समिति एवं कोर ग्रुप की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि हर बूथ पर 370 नए मतदाता पार्टी से जोड़ने के लिए हर लाभार्थी से संपर्क करना है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बीते दस वर्षों में किए गए गरीब कल्याण, विकास, सुशासन के कार्यों को जनता को बताएं। 

जामवाल ने कहा कि यह चुनाव स्थानीय मुद्दों पर नहीं, राष्ट्रीय विषयों पर हो रहा है। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार हर जाति, समाजवर्ग के कल्याण के लिए कार्य कर रही है। “मेरा बूथ-सबसे मजबूत“ ध्येय को लेकर हर बूथ पर पिछले मतदान की तुलना में पार्टी के लिए 370 मत बढ़ाने का कार्य करे। 


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