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मध्यप्रदेश राजनीति : मध्यप्रदेश भाजपा-कांग्रेस में पुराने चेहरे दवे, नए चेहरे उभरे, बदली भूमिका

मध्यप्रदेश राजनीति : मध्यप्रदेश भाजपा-कांग्रेस में पुराने चेहरे दवे, नए चेहरे उभरे, बदली भूमिका

मध्यप्रदेश राजनीति : मध्यप्रदेश की राजनीति में कई सालों बाद बदालव देखने को मिल रहा है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद से प्रदेश की सियासत की तस्वीर बदलती दिखाई देने लगी है। प्रदेश भाजपा और कांग्रेस का नेतृत्व और चुनावी रणनीति में बदलाव आया है। इतना ही नहीं जो नेता पहले दोनों दलों का नेतृत्व करते ​अबतक दिखाई देते थे, वे भी अब कुछ हद तक सीमित हो गए है। प्रदेश में पहले पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान भाजपा का नेतृत्व करते आए है तो वही कांग्रेस के कमलनाथ कमान संभालते आए है। अब दोनों दिग्गज चहरे दवे से नजर आने लगे है। 

2019 तक की भूमिका में रहे ये नेता

2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अहम भूमिका में रहे। तो वही कमलनाथ कांग्रेस की भूमिका निभा रहे थे। दोनों नेताओं ने चुनावों के साथ साथ टिकट वितरण में भी अपनी अहम भूमिका निभाई, लेकिन अब दोनों नेता अलग सलग दिखाई देने लगे हैं। शिवराज सिंह चौहान सीएम से सीधे विदिशा लोकसभा प्रत्यशी बन गए। यानि वह अपनी जगह फिर से वापस पहुंच गए, क्योंकि विदिशा लोकसभा उनकी पारंपरिक सीट रही है। वह यहां से कई बार सांसद रह चुके है। शिवराज सिंह चौहान ने इसी संसदीय क्षेत्र से सीएम तक का सफर तय किया था। शिवराज सिंह का कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रताप भानु शर्मा से सीधा मुकाबला है। 

वही छिंदवाड़ा के कमलनाथ की बात करे तो कमलनाथ अब अपने बेटे नकुलनाथ की राजनीति चकमाने में जुटे है। नकुल को लोकसभा जीतना उनके लिए चुनौती बन गई है। क्योंकि छिंदवाड़ा में बीजेपी लगातार कमलनाथ कांग्रेस में सेंधमारी कर रही है। बीजेपी अबतक कई कमलनाथ के करीबियों को बीजेपी में शामिल कराने में कामयाब रही है। वही राज्य बीजेपी से लेकर केंन्द्रीय बीजेपी नेता छिंदवाड़ा फतह के लिए दौरे पर आ रहे है। तो वही कैलाश विजयवर्गीय की टीम छिंदवाड़ा में डेरा जमाकर बैठी है। कमलनाथ वर्तमान में छिंदवाड़ा से कांग्रेस विधायक है। वह इसी संसदीय क्षेत्र से 9 बार सांसद रहे है। अब उनके बेटे सांसद है और लोकसभा प्रत्याशी है। नकुलनाथ का भाजपा के विवेक बंटी साहू से सीधा मुकाबला है। 

महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया 

गुना लोकसभा सीट से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी बनाया है। सिंंधिया पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया कांग्रेस के टिकट पर अपने ही करीबी केपी यादव से चुनाव हार गए थे। चुनाव हारने के बाद सिंधिया बीजेपी में आ गए थे। गुना लोकसभा सीट महाराज सिंधिया की पारंपरिक सीट रही है, वे यहां से 4 बार सांसद रहे है। इस बार सिंधिया फिर अपनी साख बचाने के लिए अपने संसदीय क्षेत्र में ड़टे हुए है। 

कैलाश का नाथ पर फोकस 

भाजपा के दिग्गज नेता और पार्टी मेंं चाणक्य की भूमिका निभाने वाले कैलाश विजयवर्गीय इन दिनों नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा पर फोकस जमाए हुए है। वर्तमान में वे मध्य प्रदेश की मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। बीजेपी ने विजयवर्गीय को छिंदवाड़ा सीट जीतने का जिम्मा सौंपा है। 

प्रदेश की राजनीति का बदला रंग

2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से प्रदेश की राजनीति में बदलाव पर बदलाव होते जा रहे है। विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश का सीएम बदल दिया गया। जबकि चुनावों के दौरान शिवराज सिंह ही सीएम चेहरे के तौर पर उभरे थे, लेकिन चुनाव में बंपर सीट जीतने के बाद प्रदेश की कमान मोहन यादव के हाथों सौंप दी गई। तो वही कांग्रेस की हार के बाद पार्टी की कमाना जीतू पटवारी को सौंप दी गई। जबकि पटवारी खुद विधानसभा का चुनाव हार गए थे। 


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