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Lok Sabha Elections 2024 : दूसरे चरण में आज 6 सीटों में से 4 पर कांटे की टक्कर एक पर त्रिकोणीय

Lok Sabha Elections 2024 : दूसरे चरण में आज 6 सीटों में से 4 पर कांटे की टक्कर एक पर त्रिकोणीय

भोपाल। मप्र में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 6 सीटों पर 80 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला कल होना है। इस बार चुनाव मैदान में 75 पुरुष उम्मीदवारए 4 महिला उम्मीदवार और एक थर्ड जेंडर प्रत्याशी हैं। वर्ष 2019 की तुलना में होशंगाबाद छोड़ कर सभी सीटों पर उम्मीदवारों की संख्या कम हुई है। जबकि टीकमगढ़ में सबसे कम सात प्रत्याशी मैदान में हैं। होशंगाबाद सीट से कांग्रेस प्रत्याशी संजय शर्मा के पास सबसे ज्यादा संपत्ति है। वहीं खजुराहो पर सबकी निगाहें हैं। यहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की राह आसान दिख रही है। क्योंकि इंडिया गठबंधन की सपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त होने से ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार आरबी प्रजापति को गठबंधन ने अपना समर्थन दिया हैं। वह सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं।

खजुराहो: वीडी का मुकाबला फॉरवर्ड ब्लॉक से 

खजुराहो सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला इंडी गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी को दी गई थी, लेकिन सपा उम्मीदवार मीरा यादव का पर्चा रद्द होने से वीडी शर्मा को यह उम्मीद है कि उनके मुकाबले में अब कोई नहीं है। वहीं इंडिया गठबंधन ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार आरबी प्रजापति को अपना समर्थन दिया है। इसलिए मुकाबला लगभग खत्म ही है। यहां 1999 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो 1989 से भाजपा का दबदबा रहा है। खजुराहो में लगभग 19.94 लाख वोटर हैं। इस संसदीय क्षेत्र में शामिल आठ विधानसभा क्षेत्र चंदला, रामनगर, पवई, गुनौर, पन्ना, विजयराघवगढ़, मुड़वारा और बहोरीबंद हैं। इन सभी विधानसभाओं में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। इसलिए भी भाजपा आश्वस्त है कि यहां उसका किसी से 
मुकाबला नहीं है। 

टीकमगढ़: भाजपा के सामने चौथी बार चुनौती

टीकमगढ़ सीट पर भाजपा के डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक और कांग्रेस के पंकज अहिरवार के बीच मुकाबला माना जा रहा है। यहां गठबंधन की वजह से सपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा, जिससे मुकाबला नजर आ रहा है, जबकि बसपा ने दल्लूराम अहिरवार को टिकट दिया है। यहां सात बार सांसद और दो बार केंद्रीय मंत्री खटीक के सामने कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशी को उतारा है जो अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में भले ही पांच लाख के आसपास अहिरवार वोट हों, लेकिन तीन लोकसभा चुनाव से कांग्रेस के अहिरवार कैंडिटेड हार रहे हैं। यह सीट यूपी से सटी हुई है और 2009 में खजुराहो से अलग होकर टीकमगढ़ लोकसभा अस्तित्व में आई और एससी वर्ग के लिए आरक्षित है। 2019 में खटीक ने कांग्रेस की किरण अहिरवार को 3.48 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। यहां लगभग 18.17 लाख वोटर हैं। 
इस संसदीय क्षेत्र में टीकमगढ़, जतारा, खरगापुर, पृथ्वीपुर, निवारी, महाराजपुर, छतरपुर और बिजावर विधानसभा सीटें हैं, जिनमें तीन सीटों पर कांग्रेस और पांच पर भाजपा का कब्जा है। 

दमोह: भाजपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती

दमोह लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है और इस बार उसे अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। क्योंकि वर्ष 2019 में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल सांसद थे। उनके विधानसभा चुनाव लड़ने से यह सीट रिक्त हो गई और यहां से भाजपा ने पूर्व विधायक राहुल लोधी और कांग्रेस ने पूर्व विधायक तरवर सिंह लोधी को चुनावी मैदान में उतारा है। यह दोनों ही एक-एक बार विधायक रह चुके हैं। इस सीट को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन 1989 से भाजपा ने यहां से अपनी जीत का क्रम शुरू किया और तब से यह जारी है।  यहां लगभग 19.1 लाख वोटर हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीट दमोह, हटा, जबेरा, पथरिया, बड़ा मलहरा, देवरी, रहली बंडा हैं। इनमें से एक पर कांग्रेस और शेष सात सीटों पर भाजपा का कब्जा है। लोधी बाहुल सीट और भाजपा उम्मीदवार बदलने से समीकरण अलग हो गए हैं। 

सतना: बसपा ने कर दिया मुकाबला रोचक

सतना लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला है। भाजपा व कांग्रेस के अलावा बीएसपी प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी के उतरने से सतना का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भाजपा ने चार बार के सांसद गणेश सिंह को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने सतना विधानसभा के मौजूदा विधायक पर भरोसा जताया है। इस सीट पर विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाह ने भाजपा के चार बार के सांसद गणेश सिंह को मात दी थी। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस ने उन्हीं उम्मीदवारों पर दांव लगाया है, जिनको विधानसभा चुनाव में उतारा गया था। पिछड़ा वर्ग के दोनों प्रमुख उम्मीदवारों के बीच बसपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार पर भरोसा जताया। ऐसे में नारायण त्रिपाठी के आ जाने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। यहां लगभग 16.98 लाख मतदाता हैं। सतना लोक सीट में सतनाए रामपुर बघेलान, नागौद, रैगांव, चित्रकूट, मैहर, अमरपाटन विधानसभा सीटें आती हैं। इन 7 सीटों में से दो कांग्रेस और पांच पर भाजपा का कब्जा है।

रीवा: भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर

इस लोकसभा सीट पर मिश्रा बनाम मिश्रा का मुकाबला है। यहां भाजपा ने जनार्दन मिश्रा को दूसरी बार टिकट, जबकि भाजपा से विधायक रहीं नीलम अभय मिश्रा को कांग्रेस ने लोकसभा के मैदान में उतारा है। साल 2018 में नीलम मिश्रा कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। यहां लगभग 18.45 लाख वोटर हैं। रीवा लोकसभा में आठ विधानसभा क्षेत्र रीवा सेमरिया, सिरमौर, मनगवां, त्योंथर, मऊगंज और देवतालाब हैं। इनमें से सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस और 7 पर भाजपा का कब्जा है। रीवा लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इस सीट पर भाजपा को मन मुताबिक फीडबैक नहीं मिला है। यही कारण है कि इस सीट पर भाजपा पूरा जोर लगा रही है। नीलम मिश्रा के भाजपा से कांग्रेस में जाने से मतदाताओं ने पाला नहीं बदला है, लेकिन प्रचार में मतदाता पूरी तरह से मौन रहे, इसलिए अभी यह कहना ठीक नहीं है कि वो पूरी तरह से भाजपा को ही वोट देंगे। जबकि कई लोग यहां मोदी फैक्टर भी देख रहे हैं।  

होशंगाबाद: इस सीट पर भी गढ़ बचाने का संघर्ष

इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने इस बार किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह चौधरी को तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक संजय शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। संजय शर्मा लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के सदस्य रहे हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी के उदय प्रताप सिंह तीन बार यहां से सांसद रहे और इस समय प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। वैसे होशंगाबाद लोकसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी के गढ़ की नजर से देखा जा रहा है, लेकिन इस लोकसभा के ब्राह्मण बाहुल्य सीट होने से यहां मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। जबकि इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की सभी सीटों पर भी भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा है। इस बार देखना यह होगा कि इस सीट पर कौन भारी पड़ता है। इस सीट पर कुल मतदाता 18.50 लाख हैं। इसमें 9.55 लाख पुरुष और 8.94 लाख महिला वोटर हैं।  


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