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Indore Lok Sabha Seat: इंदौर में पहली बार माहौल में दिखाई नहीं दे रही चुनावी गर्मी

Indore Lok Sabha Seat: इंदौर में पहली बार माहौल में दिखाई नहीं दे रही चुनावी गर्मी

भोपाल। इंदौर लोकसभा सीट इस बार पूरी तरह से शांत है, क्योंकि न तो राजनीतिक गर्मी दिखाई दे रही और न ही किसी दल का कोई उम्मीदवार सड़कों पर घूमता नजर आ रहा है। ऐसा लगता है कि जैसे चुनाव को लेकर किसी भी प्रकार की चर्चा बची ही नहीं है। मतदाता भी अपने रोजगार और रोटी-रोजी में व्यस्त हैं, जैसे मतदान की तारीख वाले दिन ही सोचेंगे कि वोट किसको देना है। इसके भी शहर की सड़कों पर दो कारण दिखाई दे रहे हैं, जिसमें से एक तो यह है कि वर्ष 1989 के बाद से कांग्रेस एक भी चुनाव नहीं जीती है और दूसरा यह कि उसके उम्मीदवार को अपनी पहचान स्थापित करनी पड़ रही है। दूसरी तरफ भाजपा का खेमा पूरी तरह से आश्वस्त है और उसे लगता है कि अतिरिक्त मेहनत या प्रचार करने की जरूरत नहीं है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि भाजपा को लगता है कि राम मंदिर और नरेंद्र मोदी दो के सहारे उनकी नैया पार होना ही है। अगर कांग्रेस अतिरिक्त जोर आजमाइश करें तो भाजपा के इन मंसूबों पर पानी फेरने की स्थिति में आ सकती है।

कुछ लोगों के अनुसार, कांग्रेस अतिरिक्त जोर आजमाइश करने की स्थिति में ही नहीं है। उसके बड़े नेता अगर सक्रिय हों और पूरा समय यहीं बिताएं तो टक्कर में आ सकते हैं, लेकिन कांग्रेस का एक वर्ग यह भी कहता है कि अब समय निकल गया है और घर-घर बैठकों का दौर चल रहा है। अगर मतदान अधिक रहा तो उनको लाभ मिल सकता है। अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी सफलता न मिलने के कारण हो सकता है कि कांग्रेस में ऊर्जा का संचार नहीं हो पा रहा है, लेकिन भाजपा भी पूरी तरह से सक्रिय नहीं है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि चुनाव एक तरफा होगा। भाजपा के बड़े नेता भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, लेकिन आने वाला समय ही बताएगा कि भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी जीत का नया रिकार्ड बनाते हैं या कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम 35 साल का सूखा समाप्त करेंगे।

क्या रहेंगे मुद्दे?

वैसे तो लोकसभा चुनावो में स्थानीय मुद्दे नहीं रहते हैं, लेकिन इंदौर में विकास को लेकर मतदाता हमेशा गुणा-भाग लगाते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि यह शहर स्वच्छता सर्वेक्षण में हमेशा नंबर वन आता रहा और लोग इसके लिए पूरा सहयोग करते हैं। प्रदूषण रहित वातावरण को लेकर यहां कई काम होने हैं, जिसको लेकर दोनों ही दलों ने कई आश्वासन भी दिए हैं। वहीं मेट्रो का काम भोपाल से ज्यादा तेजी से यहां हो रहा है। पूरे शहर को इसका लाभ जल्दी मिल सकता है, क्योंकि पूरी 25 ट्रेन यहां पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है। वैसे भी इस शहर को मिनी मुंबई भी कहा जाता है, जिसके लिए मेट्रो जैसी सुविधाएं काफी जरूरी हैं। उद्योग इंदौर से शुरू होकर पीथमपुर तक फैले हैं। इन उद्योगों से जुड़े लोग भी अपनी सुविधाओं पर पहले ध्यान देते हैं। उन्हें मेट्रो से काफी सहूलियत दिखाई दे रही है।

अभी विधानसभा सीट पर भाजपा काबिज   

इंदौर में वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में इंदौर-1 से भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय चुनाव जीते हैं। इंदौर-2 सीट से रमेश मेंदोला तीन बार से यहां चुनाव जीतते आ रहे हैं। इंदौर-तीन से भाजपा के राकेश गोलू शुक्ला ने दीपक महेश जोशी को पराजित किया है। यहां की जनता ने समय-समय पर दोनों ही पार्टियों को बराबर का मौका दिया है। इंदौर-4 सीट से भाजपा के टिकट पर निवर्तमान विधायक मालिनी गौर ने एक बार फिर जीत दर्ज की। यहां कांग्रेस आखिरी बार 1985 में जीती थी। इंदौर-5 सीट से महेंद्र हर्दिया ने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को पराजित किया। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी काफी है। इसलिए हमेशा यहां जीत और हार का अंतर बहुत छोटा होता है। देपालपुर से भाजपा के मनोज पटेल ने कांग्रेस के विशाल पटेल को हराया, जबकि राउ से भाजपा की मधु वर्मा ने कांग्रेस के जीतू पटवारी और सांवेर से भाजपा के तुलसी सिलावट ने कांग्रेस की रीना बौरासी सेतिया को हराया।   

इंदौर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण

जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो इंदौर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में बौद्ध 0.36 प्रतिशत, ईसाई 0.58 प्रतिशत, जैन 2.19 प्रतिशत, मुस्लिम 12.67 प्रतिशत, एससी 17 प्रतिशत, एसटी 4.8 प्रतिशत और सिख 0.78 प्रतिशत शामिल हैं। इंदौर संसदीय सीट पर एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 3, 93, 922  है, एसटी मतदाता लगभग 1,11,225 हैं। खास बात यह है कि इंदौर लोकसभा सीट पर मतदान एक तरफा नहीं होता कि एक जाति किसी एक उम्मीदवार को वोट करे। इसलिए कोई भी दल एक जाति या वर्ग पर निर्भर नहीं रहता। साथ ही सभी जाति और धर्म के लोगों को साध कर चलना होता है। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के दिग्गज नेता कई बार चुनाव जीते हैं और स्थानीय स्तर पर नहीं, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी धाक कायम रखी है। इसके अलावा इंदौर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान भी रखता है।

इंदौर लोकसभा सीट पर 1989 से उतार-चढ़ाव 

भाजपा को यहां जड़ें जमाने के लिए भगवान राम का आशीष ही फला था। वह 1989 का दौर था, जब देश में रामजन्म भूमि आंदोलन गति पकड़ चुका था। कांग्रेस ने इंदौर से प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नेता प्रकाशचंद सेठी को प्रत्याशी बनाया तो भाजपा ने एकदम नए चेहरे सुमित्रा महाजन को मैदान में उतारा। राम लहर ने कांग्रेस के मजबूत गढ़ को छीनकर भाजपा की झोली में डाल दिया। महाजन ने इंदौर से चुनाव जीतकर यहां भाजपा की नींव मजबूत कर दी। 1998 में भी जब महाजन के सामने कांग्रेस ने पंकज संघवी को उतारा,  तो भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी की सभा रखी। सभा बेहद सफल रही और इंदौर ने लोकसभा सीट फिर भाजपा के खाते में डाल दी। 

श्यामला हिल्स से लालघाटी तक रोप-वे प्लानिंग हुई, डीपीआर तैयार न होने से अटका काम

राजधानी में श्यामला हिल्स से बड़े तालाब के ऊपर से लालघाटी तक रोप-वे बनाने के लिए एक प्लानिंग तैयार हुई थी, जिसे केंद्र सरकार को भेजना था। प्लानिंग तैयार होने के बाद इसे आज तक केंद्र सरकार के पास नहीं भेजा गया, जबकि इसको लेकर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश सरकार को प्रस्ताव जल्दी भेजने को कहा था। इसके बाद भी प्लानिंग को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। श्यामला हिल्स से लालघाटी तक रोप-वे के पहले फ्लाईओवर बनाने की भी चर्चा हुई थी, लेकिन उस पर भी कोई काम नहीं हुआ। इसके बाद तत्कालीन केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भोपाल आए तो उन्होंने प्रस्ताव दिया कि इसके लिए वो ध्यान दें और उनके पास प्रस्ताव पहुंचाएं। अब प्रस्ताव की बात तो दूर है, उसके बारे में किसी को जानकारी तक नहीं है। 

 

चर्चाएं हुई, लेकिन निर्णय नहीं हुआ

 हालांकि शहरी आवास एवं विकास विभाग एक साल से काम कर रहा था। तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सितंबर 2022 में इसके निर्देश दिए थे। भोपाल में तीन क्षेत्र रोप-वे के लिए तय किए गए थे, लेकिन काम एक पर भी शुरू नहीं हुआ। काम शुरू करने की कई बार चर्चा हुई। केंद्र व राज्य से सलाह भी ली गई, लेकिन निर्णय नहीं निकला। रोप-वे की लागत प्रति किमी 9 करोड़ रुपए है। श्यामला हिल्स से लालघाटी का रास्ता दो किमी का है, जिस पर करीब 17 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यदि भोपाल में दस किमी में शुरू होती है तो करीब 90 करोड़ रुपए लागत आएगी।

 

इन दिनों चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशी आ तो रहे, लेकिन उतना उत्साह नहीं...

राजधानी में आगमी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चाओं के साथ प्रत्याशियों की भाग-दौड़ बढ़ने लगी है। हालांकि, प्रत्याशी लोगों से मिलने-जुलने तो लगे हैं, लेकिन जाे उत्साह वोटिंग से कुछ दिन पहले होता है, वह अभी नहीं दिखाई नहीं दे रहा। जैसे-जैसे मतदान की तारीख पास आ रही है, वैसे-वैसे मतदाता ही नहीं, उम्मीदवार भी वोटिंग की तैयारी के लिए अपने वोटर्स को जागरुक करने में लगे हैं। 

इधर, मतदाता है कि वह बातें सबकी सुन रहा है, लेकिन वोट अपने तरीके से ही करने के मूड में है। इन दिनों विशेषकर राजनैतिक पार्टियों और उनके प्रत्याशियों की हार-जीत को लेकर ज्यादा चर्चाएं हो रही हैं। ऐसी ही एक चर्चा में शहर के करोंद क्षेत्र की एक चाय की दुकान पर चाय की प्याली के साथ चुनावी चर्चा में मशगूल गिरधारी भैया, मंगल प्रजापति, सोनू आदि का कहना है कि लोकसभा चुनाव को लेकर सभी में उत्साह तो दिख रहा है, लेकिन अभी उतना नहीं, जितना वोटिंग से कुछ दिन पहले दिखता है। यह बात अलग है कि वोटर हर मिलने वाले प्रत्याशी की बात सुन रहा है, लेकिन वोट अपनी मर्जी से ही करेगा, बातों से तो यही लगता है। 

गर्मी का ध्यान रख राष्ट्रहित में अधिक से अधिक करें मतदान: डॉ. रतन कुमार 

मौसम विभाग ने लोकसभा चुनाव के दौरान काफी गर्मी पड़ने की चेतावनी दी है, इसलिए सभी प्रत्याशी, चुनाव प्रचार करने वाले समर्थक, चुनाव के दौरान सहयोग करने वाले सभी कर्मचारी, पुलिस विभाग सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी के साथ-साथ सभी नागरिकों से अपील है कि वह कोशिश करें कि दोपहर 12 बजे से दोपहर 4 बजे के बीच सीधे सूर्य के किरणों के संपर्क में आने से बचे। कोशिश करें कि अधिकतर कार्य दोपहर 12 बजे से पहले निपटाएं, जिससे लू के प्रकोप से बचा जा सके। साथ में आवश्यक है कि सिर सहित पूरे शरीर को ढीले ढाले सूती कपड़ों से ढके। साथ में पर्याप्त मात्रा में पानी, पेय पदार्थ रखे। विशेष करके गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग या बीमार लोगों को अपने स्वास्थ्य विशेष ध्यान रखना चाहिए।  हो सके तो किसी भी शेड वाले स्थान, छायादार वृक्ष के नीचे ठंडक में रहे। डायबिटीज के मरीजों को अपने दवा और खाने का समुचित प्रबंध रखना चाहिए, अन्यथा शुगर लो होने की संभावना हो सकती है।


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