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Gandhi Medical College Bhopal : हर सप्ताह वीकली ऑफ, साल में 20 कैजुअल व पांच इमरजेंसी लीव

Gandhi Medical College Bhopal : हर सप्ताह वीकली ऑफ, साल में 20 कैजुअल व पांच इमरजेंसी लीव

भोपाल। जूनियर डॉक्टर पर दवाब बनाना तो दूर हम तो उन्हें डांटते तक नहीं है। ड्यूटी के दौरान तनाव दूर करने के लिए बेहतर से बेहतर माहौल बनाने का प्रयास किया जाता है। यह कहना है गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के प्रबंधक और फैकल्टी का। दरअलस काम का दवाब अधिक होने के कारण जूडा ने पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु मांगी थी। जूडा के पत्र के बाद जीएमसी प्रबंधक के सामने आने के बाद इच्छा मृत्यु मांगने वाले जूडा अब अपनों के निशाने पर आ गए हैं। मेडिकल कॉलेज के पूर्व छात्र और वर्तमान फैकल्टी ने इच्छा मृत्यु वाले पत्र के बाद जूडा को आईना दिखाना शुरू कर दिया है। 

इतना ही नहीं कॉलेज प्रबंधन ने भी नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा जारी गाइडलाइन का हवाला देते हुए कहा कि जूडा के लिए बेहतर से बेहतर माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जनवरी 2024 में एनएमसी ने जो गाइडलाइन जारी की है, उसके अनुसार मेडिकल स्टूडेंट्स को हर सप्ताह वीकली ऑफ, साल में 20 केजुअल लीव, 5 इमरजेंसी लीव और शादी के लिए अलग से छुट्टी देने का प्रावधान है। इतना ही नहीं मेडिकल छात्राओं को शादी के बाद मेटरनिटी लीव का भी बंदोबस्त किया गया है।

77 हजार तक मिल रहा स्टाइपेंड

एक तरफ जहां एनएमसी ने जूनियर डॉक्टर्स का तनाव कम करने के लिए साप्ताहिक अवकाश की सुविधा शुरू की है। वहीं राज्य सरकार ने पिछले महीने ही जूडा के मासिक स्टाइपेंड में वृद्धि की है। मप्र के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जूडा को 69 हजार से लेकर 77 हजार रुपए तक स्टाइपेंड प्रतिमाह मिल रहा है।

अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर में हुआ सुधार

पहले के मुकाबले हमीदिया अस्पताल में आज सुविधाएं ज्यादा बेहतर हैं। पहले पुरानी बिल्डिंग में सभी विभाग संचालित होते हैं। यहां अक्सर पीने के पानी और शौचालय के लिए भी जूडा को परेशान होना पड़ता था। लेकिन अब नई बिल्डिंग में विभाग में संचालित हो रहे हैं। यहां सभी तरह की सुविधाएं जूडा को मुहैया कराई जा रही हैं। वार्ड में एयरकंडीशन से लेकर लिफ्ट तक की सुविधाएं हैं।
 

सीटें बढऩे से कम हो रहा काम का बोझ

जूडा द्वारा मांगी गई इच्छा मृत्यु के पीछे अत्यधिक काम को कारण बताया गया है। इस संबंध में पड़ताल की तो पता चला कि बीते पांच वर्षों में हर साल पीजी की सीटें बढ़ी हैं, लेकिन अस्पताल में काम उतना नहीं बढ़ा, जितना बताया जा रहा है। सीटें बढऩे से कई विभाग भी पृथक रूप से काम कर रहे हैं। गायनिक, ऑर्थोपेडिक्स, मेडिसिन व एनेस्थीसिया विभाग में सीटें बढऩे से पीजी स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ी है। इससे काम आपस में बंट गया है।

मानव अधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव डीन को दिए जांच के निर्देश 

मप्र मानव अधिकार आयोग ने गांधी मेडिकल काॅलेज के पांच जूनियर डाॅक्टरों द्वारा इच्छामृत्यु मांगने के मामले में संज्ञान लिया है। मामले में आयोग ने प्रमुख सचिव, चिकित्सक शिक्षा विभाग और डीन, गांधी मेडिकल काॅलेज को जांच के निर्देश दिए हैं। आयोग ने अधिकारियों से पूछा है कि जूनियर डाॅक्टरों से लिए जाने वाले कार्य के संबंध में नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा इस संबंध में क्या अनुशंसायें की गई है और उस तारतम्य में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा मप्र में जो विभिन्न शासकीय एवं अशासकीय चिकित्सा महाविद्यालय है, उनके लिये क्या गाईड लाईन जारी की गई हैं? इस संबंध में पूर्व में क्या-क्या शिकायते प्राप्त हुई है और उन पर क्या कार्रवाईयां की गई? संबंध में प्रतिवदेन मांगा है। बता दें कि जीएमसी के पांच जूनियर डाॅक्टरों द्वारा फैकल्टीज पर प्रताड़ना औैर काम के अत्यधिक भार का आरोप लगाने का मामला सामने आया है।  


इन मामलों में भी जवाब-तलब

आयोग ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में पदस्थ एचओडी द्वारा महिला अतिथि व्याख्याता से छेड़छाड़ करने का मामले में पुलिस कमिश्नर और बीयू रजिस्ट्रार से जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मंागा है। टीटी नगर इलाके में स्थित बाणगंगा क्षेत्र में बीती रात बदमाशों द्वारा जमकर उत्पात मचाने और तलवारों से गाड़ियों के कांच फोड़ने के साथ-साथ घरों पर भी हमला करने के मामले में पुलिस को जांच के निर्देश दिए हैं।   


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