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दिग्विजय ने कहा- मैंने हमेशा संघी आतंकवाद की बात की, भगवा या हिंदू आतंकवाद की कभी नहीं,

दिग्विजय ने कहा- मैंने हमेशा संघी आतंकवाद की बात की, भगवा या हिंदू आतंकवाद की कभी नहीं,

भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बुधवार को अपने निवास में पत्रकारों को बुलाकर हिंदू, हिंदुत्व और अपने धर्म को लेकर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि मैं न हिंदू विरोधी हूं, न कभी विरोधी रहा, न कभी रहूंगा। मैं आचरण और कर्म से धार्मिक व्यक्ति हूं और सनातन धर्म को मानता हूं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैंने कभी भगवा अथवा हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, हां संघी आतंकवाद जरूर बोला। दिग्विजय ने कहा कि आरएसएस को वेदों, उप निषदों एवं पुराणों से कोई लेना-देना नहीं है। उसे सिर्फ सत्ता और पॉवर चाहिए।

सनातन धर्म में कट्टरता को कोई स्थान नहीं


दिग्विजय ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी अथवा कही बातों का जिक्र करते हुए कहा कि सनातन धर्म हमेशा सभी धर्माें के आदर की बात करता है। सभी पंथों, धर्मों के रास्ते अलग हैं लेकिन लक्ष्य सबका एक है। सभी धर्म सहिष्णुता की बात करते हैं। विश्व बंधुत्व की बात करते हैं। सनातन धर्म में कट्टरता को कोई स्थान नहीं है। इसलिए कट्टर हिंदू हो या मुस्लिम, मैं दोनों का विरोधी हूं। मुख्यमंत्री रहते मैंने दोनों तरह की कट्टरता के खिलाफ कार्रवाई की है। सभी धर्माें का आदर करना ही सनातन धर्म है और आरएसएस सनातन धर्म के खिलाफ है इसलिए मैं उसके खिलाफ बोलता हूं।

राजमाता से न मिलतीं तो कांग्रेस में होतीं उमा

दिग्विजय सिंह ने उमा भारती से संबंधित सवाल पर कहा कि मैं उन्हें बचपन से जानता हूं। जब मैं नगर पालिका अध्यक्ष था, तब वे हमारे घर राघौगढ़ आई थीं। तब वे विहिप का काम करती थीं। वे कांग्रेस में आने वाली थीं। पूरी बात हो गई थी। लेकिन जब वे भाेपाल आ रही थीं तो ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया को बताने पहुंच गईं और राजमाता ने उन्हें जनसंघ या भाजपा ज्वाइन करा दी।

मेरे पिता और मैं कभी संघ में नहीं रहे

दिग्विजय ने कहा कि कुछ लोग प्रचार करते हैं कि मेरे पिता हिंदू महासभा में थे, यह पूरी तरह से गलत है। वे निर्दलीय चुनाव जरूर जीते थे। इसी प्रकार मुझे भी जनसंघ अथवा संघ का बता दिया जाता है जबकि मैं कभी संघ में नहीं रहा। हां, नगर पालिका अध्यक्ष रहते एक बार राघौंगढ़ में मैं संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेने जरूरत चला गया था।

 


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